अयोध्या: रामलला के भव्य मंदिर के लिये पुष्कर से आई 1008 धार्मिक स्थलों की रज
अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास हो चुका है. मंदिर निर्माण के लिये तमाम धार्मिक स्थलों से वहां की मिट्टी लायी जा रही है. इस बीच, राजस्थान के पुष्कर और उसके आसपास के क्षेत्रों से 1008 मंदिरों की रज लायी गयी है.
अयोध्या. राजस्थान का पुष्कर जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां ब्रह्मा जी ने खुद आकर यज्ञ किया था और भगवान राम ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान पुष्कर में ही किया था. इस वजह से अयोध्या और पुष्कर के बीच एक आत्मीय रिश्ता है. पुष्कर से भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत ने यात्रा निकालकर बहु प्रतिष्ठित ब्रह्मा जी के मंदिर और बद्रीनारायण, वाराह, शिवआत्मेश्वर, सावित्री मंदिर समेत 1008 धार्मिक स्थलों और मंदिरों की रज इकट्ठा की और उसे कलश में एकत्रित करके अयोध्या पहुंचे. यह कलश उन्होंने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंप दिया.
इस मौके पर विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज ने कहा कि हमारा भी सौभाग्य है और प्रभु श्री राम ने जन-जन को जोड़ा है, जहां राजाराम हैं वहीं, वनवासी राम भी हैं. इसीलिए उन्होंने सब को एक सूत्र में पिरोया है. यह रज का जो संग्रह हुआ है, वह भी राम जन्मभूमि मंदिर की एकता-अखंडता और एकात्मता का प्रतीक है. इसी राम जन्मभूमि परिसर में स्थापित किया जाएगा.
विधायक ने बताया कि 20 साल जुड़ा हूं
सुरेश सिंह रावत ने बताया कि तीर्थराज पुष्कर राजस्थान अजमेर से मैंने एक यात्रा प्रारंभ की क्योंकि भगवान श्रीराम हिंदुस्तान ही नहीं दुनिया भर के सनातन धर्म को मानने वालों के प्राण वायु हैं. सन् 2000 से राम रक्षा सूत्र कार्यक्रम लोगों ने शुरू किया था, मैं 20 साल से फिर जुड़ा हुआ हूं, मैं प्रार्थना कर रहा था कि भगवान श्री राम लला का मंदिर बने. जब 5 तारीख को यह शुभ घड़ी आई और हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने जब इसका शिलान्यास किया तब मैंने भी संकल्प लिया कि तीर्थराज पुष्कर के आसपास के 1008 मंदिरों की यात्रा निकाली और प्रत्येक मंदिर के अंदर हम गए और वहां की मिट्टी लेकर हम अयोध्या आए इसके लिए मैं अपने आप को धन्य समझता हूं.
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज ने कहा कि ब्रह्मा जी का एक ही मंदिर है, पुष्कर में और पुष्कर से हमारे विधायक जी ने एक यात्रा निकाली और उस क्षेत्र में जो 1008 मंदिर हैं, उन सब मंदिरों की यात्रा करके वहां की रज संग्रहित कर के कलश यात्रा के साथ यहां आए हैं यह हमारा भी सौभाग्य है.
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