UP Crime News: उत्तर प्रदेश में इंजीनियरिंग और मेडिकल समेत भर्ती परीक्षाओं (Engineering and Medical Exam) में सॉल्वर गैंग (Solver Gang) का साया गहराता जा रहा है. हालांकि, एसटीएफ और पुलिस ऐसे गैंग पर नजरें गड़ाए रहती है और लगातार धरपकड़ की कार्रवाई भी करती है. बावजूद इसके परीक्षाओं में सेंधमारी का सिलसिला थम नहीं पा रहा है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि, सॉल्वर तो पकड़ लिए जाते हैं, लेकिन परीक्षाओं को क्रैक करने वाले गैंग के मास्टरमाइंड तक कानून के हाथ नहीं पहुंच पाते. 


ऐसे काम करता है सॉल्वर गैंग


दरअसल, मेडिकल और इंजीनियरिंग का ख्वाब देखने वाले या विभिन्न सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थी अपने चयन के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. गिरोह के सदस्य ऐसे लोगों की ही तलाश में रहते हैं. उनका देश और प्रदेश में चल रही बड़ी कोचिंग में नेटवर्क होता है, जिसके जरिए वह योग्य और मेधावी छात्र-छात्राओं पर नजर रखते हैं. गैंग के सदस्य यह भी देखते हैं कि, परीक्षाओं में फेल होने वाले अभ्यर्थी किस तरह के हैं. क्या वह संपन्न वर्ग से आते हैं और मेडिकल या इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना उनका सपना होता है या फिर वह आम अभ्यर्थी हैं, जो सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए मोटी रकम खर्चा करने को तैयार रहते हैं. 


5 से 15 लाख की डिमांड 


ऐसे अभ्यर्थियों की सूची बनाकर गैंग के सदस्य उनसे संपर्क करते हैं और उन्हें पास कराने का ऑफर देते हैं. इसके बदले प्रत्येक भर्ती से 5 से 15 लाख रुपए की डिमांड रखी जाती है. जो अभ्यर्थी तैयार हो जाते हैं उनकी जगह पर परीक्षा देने के लिए सॉल्वर से संपर्क किया जाता है. इसके बाद सॉल्वर की फर्जी आईडी बनाकर उन्हें असली अभ्यर्थियों की जगह पर परीक्षा दिलाई जाती है. एसटीएफ ने कई सॉल्वरों को गिरफ्तार किया है. हालांकि, सॉल्वर गैंग के सरगना प्रदेश के बाहर अन्य प्रदेशों में बैठे होते हैं इसलिए उन तक कार्यवाही की आंच नहीं पहुंच सकी. यही वजह है कि एसटीएफ ने परीक्षाओं का सिस्टम फूल प्रूफ करने के लिए परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसियों को तमाम सुझाव दिए हैं. 



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