मेरठ, बलराम पांडेय: आज श्रवण मास की अमावस्या है, जिसे हम हरियाली अमावस्या के नाम से भी जानते हैं, लेकिन जब ये अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है, तो इसे 'सोमवती अमावस्या' कहते है. इस बार सोमवती अमावस्या कई सालों बाद अद्भुत संयोग के साथ आई है. करीब 20 साल बाद सावन के सोमवार के दिन सोमवती अमावस्या पड़ी है. इस दिन भोलेनाथ की पूजा अर्चना मात्र से ही सभी दुःख दरिद्रता समेत पित्र दोष का संपूर्ण नाश हो होता है. कहा जाता है भोलेनाथ के इस दिन दर्शन कर अगर वृक्ष लगाया जाए, तो उसका अद्भुत फल प्राप्त होता है. इसलिए बहुत लोग आज के दिन पीपल और तुलसी की भी पूजा अर्चना करते हैं. बता दें कि इससे पहले सावन के सोमवार के साथ अमावस्या का संयोग 31 जुलाई 2000 को बना था.
कोरोना काल में नहीं खुला औघड़नाथ मंदिर
इस साल कोरोना संकट के बीच ही सभी त्योहार, धार्मिक कार्य आदि संपन्न हो रहे हैं. कोरोना काल मे शिवालयों और मंदिरों में क्या स्थिति है. इसको जानने के लिए एबीपी गंगा की टीम मेरठ के औघड़नाथ मंदिर पहुंची, तो देखा कि मंदिर बंद था. सिर्फ भोलेनाथ के पट खोल दिए गए थे. जिससे भोलेनाथ के भक्त उनके दर्शन कर सकें, लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन किया जा रहा है. मंदिर परिसर में भीड़ ना लगे, इस लिहाज से प्रशासन ने मंदिर को बंद कर रखा है.
भोलेनाथ के भक्तों ने कहा
जब मंदिर बंद होने का सवाल भोलेनाथ के भक्तों से किया गया, तो उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से बचने के लिए प्रशासन ने जो कदम उठाया है, वह सही है. उन्होंने कहा कि वह थोड़ा निराश जरूर हैं. इतने अद्भुत संयोग के बाद भी वह भोलेनाथ के चरणों से थोड़ा दूर हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि इस कोरोना असुर को भोलेनाथ जल्द खत्म कर अपने भक्तों को फिर से मंदिरों में दर्शन देंगे.
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