प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में सावन महीने के तीसरे सोमवार पर कोरोना की महामारी और बारिश का साया साफ तौर देखने को मिल रहा है. कोरोना के खतरे के चलते प्रयागराज के शिवालयों में पहले ही सन्नाटा पसरा हुआ था. सोमवार को सुबह से लगातार हो रही बारिश ने इस सन्नाटे को और बढ़ा दिया है. सोमवती अमावस्या के साथ पड़े सावन के इस तीसरे सोमवार पर शिव मंदिरों में इक्का दुक्का श्रद्धालु ही नजर आ रहे हैं. प्रयागराज के ज्यादातर मंदिरों के गर्भगृह कोरोना की वजह से अब भी बंद हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं को बाहर से ही दर्शन पूजन करना पड़ रहा है. कोरोना और सुबह से लगातार हो रही बारिश के बावजूद जो श्रद्धालु मंदिरों में आ रहे हैं वो भगवान भोलेनाथ से कोरोना के खात्मे की प्रार्थना कर रहे हैं. हालांकि, मंदिरों ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सेहत को लेकर कई तरह के इंतजाम भी किए गए हैं.


आस्था की डुबकी
इतना ही नहीं सोमवती अमावस्या का पर्व प्रयागराज में भी पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है. इस बार की सोमवती अमावस्या भगवान शिव के सबसे प्रिय महीने सावन में पड़ने से इस पर्व का महत्व काफी बढ़ गया है. इस मौके पर प्रयागराज में गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर आस्थावान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई है. लगातार हो रही बारिश और खराब मौसम के बावजूद भारी संख्या में श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाकर पूजा-अर्चना व दान पुण्य कर रहे हैं.


नहीं नजर आया कोरोना का खौफ
श्रद्धालु स्नान के बाद संगम का जल साथ ले जाकर उसे शिवालयों में चढ़ा रहे हैं. इसके साथ ही सुहागन महिलाएं पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा कर अपने सुहाग के अखंड रहने और दीर्घायु होने की प्रार्थना कर रही हैं. इस मौके पर कोरोना के खात्मे की कामना भी की जा रही है. हालांकि, संगम पर हजारों की भीड़ उमड़ने के बावजूद वहां मौजूद लोगों में कोरोना का कोई खौफ नहीं नजर आया. लोग एक दूसरे से सटकर खड़े थे और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहे थे. इक्का दुक्का को छोड़कर किसी ने मास्क भी नहीं लगा रखा था. इन्हें रोकने और समझाने के लिए पुलिस और प्रशासन का कोई नुमाइंदा मौजूद नहीं था.


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