नई दिल्ली, एबीपी गंगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की फ्री यात्रा की घोषणा के बाद यात्रियों के मन में कुछ सवाल लगातार घूम रहे हैं जिसका जवाब अभी तक किसी ने नहीं दिया है। जाहिर है ऐसी घोषणाओं के बाद यात्रियों के मन में आता ही है कि जैसे अभी घोषणा हुई और तुरंत लागू हो जाए, लेकिन पहली बात तो यह है कि इसमें अभी दो से तीन महीने लगेंगे। दूसरा ये कि ये योजना लागू कैसे होगी इसका भी अभी कुछ पता नहीं है। बसों की बात करें तो ये समझा जा सकता है कि उसमें एक कंडक्टर होता है और वो महिला और पुरुष में भेद कर टिकट ना लेना लागू कर सकता है, लेकिन दिल्ली मेट्रो में ऐसी कोई व्यवस्था लागू नहीं है। पहले तो टोकन काउंटर पर फिर भी लोग होते थे लेकिन अब तो मशीन ही स्मार्ट कार्ड रीचार्ज करती है और मशीन ही टोकन देती है। इसके अलावा महिलाओं का बहुत बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो कि दिल्ली से लगे इलाकों में नौकरी करने जाता है।
ये नौकरियां दिल्ली में ना उपलब्ध होकर गुड़गांव, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद जैसे इलाकों में हैं। दिल्ली मेट्रो के विस्तार ने उसे नए इलाके से जोड़ा और लोगों ने उसका प्रयोग शुरू किया। ऐसे में क्या ये माना जाए कि दिल्ली के किसी भी मेट्रो सीमा के बाहर जाते ही किराया लगना शुरू हो जाएगा या फिर आप बैठे भले ही दिल्ली से हों लेकिन उतर नोएडा रहे हों तो आपको किराया देना होगा। या फिर कोई रसीद सरकार के पास रीफंड के लिए जमा करवानी होगी और फिर वो रकम आपके खाते में आ जाएगी।
दरअसल, उत्साह में आकर सामाजिक कल्याण के लिए ऐसे कदम उठाने और उनके राजनीतिक लाभ लेने के लिए केजरीवाल हमेशा से जाने जाते रहे हैं। इससे पहले भी उनकी कई स्कीम चर्चा की विषय रही हैं। दिल्लीवासियों को उन्होंने बिजली तो फ्री में दी, लेकिन इसके लिए शर्तें भी लागू की। वहीं, फ्री पानी भी उन्होंने कुछ शर्तों पर दिया। दो बार ऑड-ईवन लेकर आए, लेकिन शर्तें लागू थीं। उनकी स्कीमों से एक बड़ा वर्ग जुड़ा हुआ महसूस करता है तो एक वर्ग ठगा हुआ। ऐसा इस बार ना हो इसीलिए स्कीम की घोषणा के बाद इसके लागू होने तक जश्न मनाने से बच रहे हैं और शायद बचना भी चाहिए। विपक्ष भी इस तरह की घोषणा से आहत इसलिए भी है क्योंकि ऐसे कई प्रकार के वादे केजरीवाल पहले भी कर चुके हैं और काम ना करने देने की दुहाई देकर सहानुभूति बटोरने में कामयाब भी रहे हैं।