बस्ती, एबीपी गंगा। लॉकडाउन में बेटों के न आ पाने पर पत्नी ने कांपते हाथों से पति को मुखाग्नि दी तो लोगों की आंखें छलक पड़ीं। बेटे रोजी-रोटी कमाने के लिए प्रदेश से बाहर गए थे और लॉकडाउन में वहीं फंस गए। बेटों को पिता के मौत की खबर लगी तो वह चाहकर भी अंतिम दर्शन को नहीं आ सके।
दरअसल मामला बस्ती जिले के हरैया थानाक्षेत्र के कोदई गांव का है। मृतक संतराम शर्मा घर पर ही रहकर खेती बाड़ी करते थे। उनके तीन बेटों में राधे कृष्ण पूना, अर्जुन प्रसाद हरियाणा और सबसे छोटा बेटा सुभाष पंजाब में अपने परिवार के साथ रहकर वहीं नौकरी करते हैं। संतराम के साथ पत्नी कैलासी गांव में ही रहते थे। वहीं रविवार को दोपहर में 12 बजे अचानक संतराम की तबियत बिगड़ गई, पड़ोसी उन्हें अस्पताल ले जाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन कुछ ही देर में संतराम शर्मा (70 वर्ष) की मौत हो गई।
इसके बाद गांव के लोगों ने संतराम की मौत की सूचना उनके तीनों बेटो को दी लेकिन बेटे पिता की मौत को मानने से इनकार करते रहे। लेकिन जब गांव के लोगों ने वीडियो कॉलिंग के जरिये तो घर का हाल दिखाया तो उनके होश उड़ गए। मृतक सन्तराम के बेटों ने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये स्थानीय प्रशासन से अनुमति मांगी लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली।
काफी प्रयास के बाद मृतक के बेटों ने लाकडाउन के चलते पिता के अंतिम संस्कार में न पहुंच पाने की मजबूरी ग्रामीणों से बताई। इसके बाद पत्नी कैलासी देवी ने खुद ही अंतिम संस्कार कराने का निर्णय लिया। जिसके बाद पेंदाघाट पर मृतक संतराम को उनकी पत्नी कैलासी ने अपने कांपते हाथों से मुखाग्नि दी। जिसने भी यह हृदय विदारक नजारा देखा वो अपने आंसू नहीं रोक पाया। घटना को लेकर पूरे क्षेत्र में चर्चा हो रही है। वहीं पिता की मौत में शामिल न हो पाये बेटों ने वीडियो कॉलिंग के जरिये पिता का अंतिम दर्शन किये।