Sonbhadra News: सोनभद्र (Sonbhadra) जिले में 2021 में ही 'हर घर जल' योजना (Har Ghar Jal Scheme) की शुरुआत हो गई थी. यहां पाइप लाइन की 30 योजनाएं चल रही हैं और 36000 से अधिक हैंडपंप हैं लेकिन बावजूद इसके सोनभद्र के कई इलाकों में पेयजल संकट (Drinking Water Crisis) बरकरार है. इसकी वजह है पानी में मौजूद फ्लोराइड (Fluoride). फ्लोराइड से न केवल पाचन क्रिया प्रभावित होती है बल्कि यह दांत और हड्डियों को भी प्रभावित करता है. इसके अलावा गर्भवती महिलाओं पर भी इसका बुरा असर होता है. ऐसी विकट परिस्थिति को देखते हुए डीएम चंद्र विजय सिंह ने ऑरो बनाने और बांटने की मुहिम छेड़ी है.


फ्लोराइड वाले पानी को साफ करने के लिए ऑरो-फिल्टर की जरूरत होती है. यहां के डीएम ने ऑरो-फिल्टर खरीदने की जगह ग्रामीण महिलाओं को इसके निर्माण के काम में लगा दिया. इससे न केवल ग्रामीणों तक साफ पानी पहुंचेगा बल्कि गांव की महिलाओं के लिए भी रोजगार के अवसर खुल गए. दरअसल, यूनिसेफ की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में यहां के पानी में मानक से पांच से सात गुना अधिक फ्लोराइड की मात्रा पाई गई है. जहां फ्लोराइड अधिक पाई गई है उसमें चोपन , कोन, म्योरपुर , बभनी और दुद्धी ब्लॉक शामिल हैं जहां के 330 गांव के एक लाख से अधिक लोग फ्लोरोसिस बीमारी से पीड़ित हैं. इनमें से कई घरों में तीन पीढ़ी के लोग अपंगता का दंश झेल रहे हैं.


दो ब्लॉक में शुरू हो गया ऑरो-फिल्टर बांटने का काम
अब डीएम की पहल पर कोन ब्लॉक के कुड़वा और कचनरवा ग्राम पंचायत ने फ्लोराइड रिमूवल ऑरो फिल्टर को बांटने का काम शुरू किया है. गांव की महिलाओं का कहना है कि शुद्ध पानी का इस्तेमाल पीने और खाना बनाने में किया जाएगा जिससे न तो लोग बीमार पड़ेंगे और न उनके हाथ-पैर टेढ़े होंगे. डीएम चंद्र विजय ने कहा कि यहां कई उद्योग हैं जिसके कारण पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा है. करीब 330 गांव में फ्लोराइड और आयरन दूषित पानी आता है. फ्लोराइड से बच्चे अपंग पैदा हो रहे हैं. ग्रामीणों को फ्लोराइड रिमूवल ऑरो फिल्टर दिया जा रहा है ताकि वे शुद्ध पानी पी सकें.


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