Sonbhadra: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का सोनभद्र जिला (Sonbhadra) कभी नक्सलियों (Naxalite) का गढ़ माना जाता था, बिहार की सीमा सटे चौरा गांव में आजादी के 75 साल बाद गुरुवार (6 जुलाई) कोई जिलाधिकारी पहुंचे हैं. इससे पहले इस गांव में कोई बड़ा अधिकारी, मंत्री, नेता या कोई या जिम्मेदार व्यक्ति नहीं पहुंचा था. विकास से कोसों दूर चौरा गांव में जिलाधिकारी के पहुंचते ही लोगों के चेहरे पर प्रसन्नता साफ दिखाई दी, जिला अधिकारी सोनभद्र चंद्र विजय सिंह के दौरे के बाद ग्रामीणों को विकास की आस दिखाई देने लगी है.
इस दौरान सोनभद्र जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह से ग्रामीणों ने अपने समस्याओं को गिनाया. स्थानीय वनवासियों को जिलाधिकारी ने इस दौरे के दौरान लगभग पांच सौ बीघा भूमि पर वनाधिकार के तहत 127 लोगों को पट्टा (अधिकार) दिया. अपनी पुश्तैनी जमीन का अधिकार अधिकार प्रमामण पत्र मिलने से वनवासियों के चेहरे खिल उठे. पट्टा वितरण के बाद जिलाधिकारी ने कहा कि यह गांव चारो तरफ पहाड़ियों से घिरा हुआ है और यहां कोई मोबाइल नेटवर्क काम नही करता जिसकी वजह से विकास कार्यों में परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि हमारा सबसे पहला लक्ष्य यहां पर क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क पहुंचाना है, जिससे आवास और शौचालय सहित अन्य विकास कार्यों में किसी तरह की कोई समस्या न आए.
चौरा गांव में सूर्योदय और सूर्यास्त की ये है खूबी
जिलाधिकारी ने इस गांव को विलेज टूरिज्म के रुप में विकसित करने का भी आश्वासन दिया क्योंकि टूरिस्ट इस इस तरह के गांव को टूरिज्म के रुप में खोजते हैं. वनाधिकार के तहत अपनी जमीन पर अधिकार पाकर वनवासियों ने खुशी जताते हुए कहा कि इस जमीन पर उनके बाप- दादा जुताई गुड़ाई करते थे. सोनभद्र के नगवां विकास खण्ड में सैकड़ों फीट नीचे पहाड़ी की तलहटी में बसा चौरा गांव अपने आप में सोनभद्र का ही नहीं पूरे प्रदेश का अनूठा गांव है. इस गांव में सूर्योदय 1 घंटे बाद और सूर्यास्त 1 घंटे पहले होता है. इसका कारण यह है कि पूरा गांव तीन तरफ से ऊंची पहाड़ी की चोटी से घिरा हुआ है और एक तरफ बहती नदी का छोर है. जिससे इस गांव की सुंदरता शिमला या मसूरी से कम नहीं है. आजादी के बाद पहली बार जिलाधिकारी चन्द्र विजय सिंह यहां के वनवासियों को उनकी जमीन पर पट्टे का अधिकार दिया है.
नक्सलियों के डर से सरकारी मुलाजिम जाने से घबराते थे
सोनभद्र जिले में आज भी कई ऐसे इलाके है, जहां न तो कोई जिम्मेदार अधिकारी पहुंचा है और न ही मंत्री या नेता. सोनभद्र की पहाड़ियां घने जंगल और घाटी से घिरी हुई हैं, कमोबेश यही हाल चौरा गांव का भी है. ये इलाका कभी नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था, ये नक्सलियों के छुपने के लिए सबसे मुफीद जगह हुआ करती थी. नक्सलियों का गढ़ रहे इस इलाके में मंत्री, अधिकारी और सरकारी मुलाजिम जाने से घबराते थे. आजादी के 75 साल बाद गुरुवार (6 जुलाई) को जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह पहुंच कर तारीख कायम किया है.
पट्टा मिलने के बाद ग्रामीणों ने क्या कहा?
ग्रामीणों ने बताया की हमारे बाप दादा जंगल या सरकारी बंजर जमीन पर जोतकोड करते चले आ रहे हैं. कभी वन विभाग तो कभी लेखापाल, प्रधान और दूसरे लोग कब्जा हतवा देते थे. आज सरकार ने इस जमीन का मालिकाना हक दे कर, हमें मालिक बना दिया. जमीन का पट्टा पाने वाले ग्रामीणों ने कहा कि आज सालों बाद जमीन के मालिक बन गये हैं हम सब बहुत खुश हैं. काम में किस प्रकार की कठिनाइयां आई ,इसके बारे में राजस्व निरीक्षक (कानुन गो) बताते हैं कि यहा आने पर जल्दी सूर्यास्त हो जाता है और सूर्योदय देर में होता है. जमीन का सर्वे करने में वन विभाग लगातार अड़ंगा लगाता रहा, फिर भी आज 127 लोगों को लगभग 500 बीघा जमीन का मालिकाना हक देने में कामयाबी मिली है.
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