Sonbhadra News: भीषण गर्मी का असर रिहंद बांध जल परियोजना पर दिखने लगा है. लगातार जलस्तर में हो रहे गिरावट से उत्पादन प्रभावित होने का खतरा मंडरा रहा है. 2021 की तुलना में इस वर्ष चार फीट की गिरावट दर्ज की गई है. तेजी से गिर रहे जलस्तर की वजह से जल परियोजना आधारित संयंत्र से विद्युत उत्पादन प्रभावित हो सकता है. रिहंद परियोजना में 50×6 मेगावॉट की यूनिट है. जबकि मानसून आने में करीब दो महीने की देरी है. ऐसे में बिजली कटौती से जूझ रहे प्रदेशवासियों की मुसीबत बढ़ सकती है.
बढ़ सकती है मुसीबत
वहीं विभागीय अधिकारियों का मानना है कि जलस्तर में हो रहे गिरावट से आने वाले दिनों में उत्पादन प्रभावित हो सकता है. बीते वर्ष दो मई को जलस्तर 846 फिट दर्ज किया गया था. पिछले वर्ष की तुलना में चार फीट गिरावट के साथ बुधवार को जलस्तर 842.90 फीट दर्ज किया गया. वर्तमान में रिहंद बांध की जल भरण क्षमता न्यूनतम 832 फीट निर्धारित किया गया है जिसके सापेक्ष न्यूनतम से 10 फीट जलस्तर शेष बचा है.
रिहंद जल विद्युत गृह पिपरी के अधिशासी अभियंता सुनील कुमार सिंह ने बताया कि एक नंबर टरबाइन के अनुरक्षण का कार्य पूरा किया जा चुका है. बांध में स्थापित सभी 6 पन आधारित टरबाइन चालू हालत में है. विद्युत बोर्ड लखनऊ के आदेशानुसार हम उत्पादन कर रहे हैं. लगातार जलस्तर में हो रही गिरावट से उत्पादन प्रभावित हो सकता है.
उत्पादन पर पड़ रहा प्रभाव
मांग और जलस्तर के सापेक्ष मार्च माह में 47.7 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया जबकि अप्रैल में घटकर 30 मिलियन यूनिट का ही उत्पादन हो सका. विभागीय अधिकारियों के अनुसार जलस्तर को ध्यान में रखते हुए उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है. जलस्तर घटने से उत्पादन पर प्रभाव पड़ रहा है.
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