Sonbhadra News: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में ऐसे कई विद्यालय है जिसमें पढने वाले नौनिहालों का भविष्य पर हमेशा खतरे की घंटी लटकती रहती है. खतरा भी ऐसा है जिसका किसी के पास कोई उपाय भी नही है, जिसकी वजह से कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. यहां के कई स्कूलों की छत के ऊपर से हाईटेंशन तार गुजर रहा है जिसकी वजह से हमेशा यहां खतरा मंडराता रहता है और नौनिहाल अपनी जान हथेली पर रखकर पढ़ाई करने आते हैं. वहीं अधिकारी भी गोलमोल जवाब देकर बचने की कोशिश करते हैं.  


सोनभद्र जिले में कई ऐसे हैं जिनके ऊपर से हाईटेंशन तार गुजर रही है, कई स्थानों पर ये काफी जर्जर हालत में हैं. आलम ये है कि ये कभी भी टूटकर नीचे गिर सकते हैं. ऐसा हुआ तो कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है. ऐसे में इसकी चपेट में कौन कब आ जाए, कोई भरोसा नहीं. ऐसा नहीं है कि इसकी वजह से पहले कभी कोई हादसा नहीं हुई है. दो साल पहले ही यहां के मेदनीखाड गांव के रहने वाले 13 साल के नीरज का एक हाथ और एक पैर यहां के स्कूल में पढ़ाई के दौरान हाईटेंशन की चपेट में आ गया था, जिसकी वजह से इन्हें हमेशा की लिए काटना पड़ा था. 


378 स्कूलों के ऊपर से गुजर रही है हाईटेंशन तार


सोनभद्र जिले के 2261 परिषदीय विद्यालय संचालित है. इनमें से कई स्कूल ऐसे हैं जिनके ऊपर से हाईटेंशन तार गुजर रही है. इसको हटाने के लिए शिक्षा विभाग ने पत्राचार शुरू कर मौन साध लिया है. शिक्षा विभाग के विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले में 378 स्कूल ऐसे हैं जिनके ऊपर से हाईटेंशन तार गुजर रहा है. शिक्षक उच्चाधिकारियों को कई बार इन तारों को हटाने के लिए प्रार्थना पत्र दे चुके हैं लेकिन इस पर अभी तक कोई बात नहीं बन सकी है. ऐसे में जुलाई से एक ओर जहां पठन-पाठन शुरू होगा तो सिस्टम की बेरुखी से स्कूलों के इस हालात से बच्चों की जान को हर समय खतरा बना रहेगा. 


एक तरफ इस मामले पर शिक्षा विभाग पत्र लिखकर मौन हो गया है तो वहीं दूसरी तरफ बिजली विभाग ने बजट न होने का हवाला देकर चुप्पी साध साध ली है. परिषदीय विद्यालय के ऊपर से गुजर रहे हाईटेंशन लाइन के तार को हटाने के लिए बिजली विभाग ने कक्षा विभाग से 1 करोड़ 56 लाख की मांग की है. जिस पर बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिवंश कुमार की और से निदेशालय को स्थिति से अवगत कराते हुए धन की मांग की गई है. मगर शासन की ओर से इस मामले में अब तक कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई है. जिसकी वजह से यहां से खंभे नहीं हटाए गए हैं और न ही इसका किसी के पास कोई समाधान है. 


कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
जिले के स्कूलों के ऊपर से जो हाईटेंशन लाइन जा रही है उन तारों के पावर कॉरपोरेशन की तरफ से करंट से बचाव का कोई प्रबंध नहीं किया गया है. हाइटेंशन के नीचे जाली भी नहीं लगी है। ऐसे में अगर कभी किसी विद्यालय में पर तार टूटता है तो सीधे जमीन पर गिरेगा.सदर ब्लॉक के कंपोजिट स्कूल के प्रिंसिपल भी कई बार बीएसए को इसके लिए लिख चुके हैं. बेसिक शिक्षा विभाग व बिजली विभाग दोनों ही इस पर टालमटोल कर जाते हैं. 


आजमपुर स्कूल के टीचर ने कहा कि उनके स्कूल के ऊपर से 11000 वॉल्ट का तार जा रहा है. यहां पर छुट्टी के दिन एक बच्चा बिजली की चपेट में आ गया था, जिससे उसका हाथ कट गया और उसका परिवार यहां से पलायन कर गया. उन्होंने कहा कि हम लोग बच्चों पर ध्यान देते हैं, लेकिन ये काफी खतरनाक है अगर कोई तार टूट जाता है तो उसकी चपेट में अध्यापक और बच्चे दोनों आ जाएंगे. 


हाईटेंशन तारों पर अफसरों की खानापूर्ति


वहीं इस मामले पर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि सोनभद्र बिजली उत्पादन का केंद्र है और यहां पर बिजली के तारों का बहुत बड़ा जाल है. यहां पर करीब 200 स्कूलों के ऊपर से हाईटेंशन तार गुजर रहे हैं. विभाग की ओर शासन को पत्र भेजा गया है. हालांकि इनकी वजह से कोई घटना हुई है ऐसी कोई जानकारी हमारे संज्ञान में नहीं है. वहीं बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता सर्वेश सिंह ने कहा शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल के ऊपर से गए हाईटेंशन तारों को हटाने के लिए एप्लीकेशन आया था जिसका एस्टीमेट बनाकर दे दिया गया है. भुगतान आते ही तार हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी. 


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