सोनभद्र: सालों से बंजर पड़ी जमीन को बना दिया उपजाऊ, कड़ी मेहनत के बाद ये उगा रहे सब्जियां
रामलोचन को करीब पांच साल पहले भाइयों से बंटवारे में दो बीघा जमीन जमीन मिली थी. बंजर और उबड़-खाबड़ जमीन को देखकर उन्हें समझ नहीं आया कि वो क्या करे.
सोनभद्र. यूपी के सोनभद्र मुख्यालय से लगभग 135 किलोमीटर दूर पहाडी गांव में खाड़ी टोला के आदिवासी रामलोचन इन दिनों चर्चा में हैं. उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सालों से बंजर पड़ी जमीन में सब्जियां उगा दी हैं. रामलोचन की कड़ी मेहनत को देखकर लोग माउंटेन मैन दशरथ मांझी को याद करने लगते हैं, जिन्होंने अपनी जिद और मेहनत से पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया था. ठीक उसी तरह रामलोचन ने बंजर जमीन का सीना चीरकर उसमें तरह-तरह की सब्जियां उगा दी है.
दरअसल, रामलोचन को करीब पांच साल पहले भाइयों से बंटवारे में दो बीघा जमीन जमीन मिली थी. बंजर और उबड़-खाबड़ जमीन को देखकर उन्हें समझ नहीं आया कि वो क्या करे. इस दौरान बनवासी सेवा आश्रम से किसी ने समास सेवी अन्ना हजारे के गांव रालेगण सिद्धि जाने की सलाह दी. अन्ना हजारे के गांव में बंजर जमीन को खेती लायक बनाने के बारे में जानकारी मिली. रामलोचन ने भी सीख लेकर अपने जमीन के टुकड़े को उपजाऊ करने का ठान लिया.
पत्नी से भी मिला साथ इस काम के लिए रामलोचन को उनकी पत्नी का भी साथ मिला. रामलोचन अपनी पत्नी की तारीफ करते भी नहीं थकते हैं. उन्होंने दो साल तक खेत के चारों ओर आम के पौधे लगाए. इसके बाद उन्होंने जमीन को समतल किया, गोबर की खाद डाली. खेत ऊंचाइयों पर था इसके लिए वहां पानी रोकने के लिए जगह-जगह क्यारी नुमा बनाया. मिट्टी ना बहे इसका भी उन्होंने बखूबी इंतजाम किया.
सब्जियों की फसल देखकर झूम उठे रामलोचन रामलोचन और उनकी पत्नी की कड़ी मेहनत से जब बंजर जमीन से बैंगन, पत्ता गोभी, मूली और अन्य सब्जियां मिली तो वह खुशी से झूम उठे. इन सब्जियों को बेचकर न सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी, बल्कि जिस खेत को लोग बंजर समझ कर छोड़ देते थे, उसमें फसल लहलहाने लगी. अब उन्हें टमाटर, गोभी, प्याज और गेहूं बोया है जो मार्च तक तैयार हो जाएंगे.
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