लखनऊ, एबीपी गंगा। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में हुए नरसंहार पर अब राजनीति शुरू हो गई है। जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर दुख जताते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। तो वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी सोनभद्र में पीड़ित परिवार से मिलने निकली हैं, लेकिन नारायणपुर पुलिस चौकी पर प्रियंका गांधी के काफिले को रोक दिया गया है। प्रियंका अपने कार्यकर्ताओं के साथ सोनभद्र जाने पर अड़ी हुई हैं। सोनभद्र जाने के लिए धरने पर बैठीं प्रियंका को हिरासत में ले लिया गया है। जिसपर प्रियंका ने कहा कि देखते हैं आगे क्या होता है।



हिरासत के लिए जाने के लिए चुनार गेस्ट हाउस लाईं गए प्रियंका ने योगी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि मैं पीड़ितों से मिलकर रहूंगी। यूपी में नरसंहार हो रहा है। पीड़ितों को उनका हक मिले। प्रियंका ने कहा कि महिलाओं को भी मारा गया। मैं गरीबों की लड़ाई लड़ने आई हूं।


पीड़ितों को न्या दिलाएगी यूपी सरकार: योगी 


सोनभद्र नरसंहार पर योगी आदित्यनाथ ने आज विधानमंडल का मानसून सत्र में बयान देते हुए कहा किआरोपियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने की बात कही है और पीड़ितों को यूपी सरकार न्याय दिलाएगी। बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानमंडल का मानसून सत्र का आज दूसरा दिन है। इस दौरान योगी ने सोनभद्र नरसंहार का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने सभी पीड़ित परिवारों को 5 लाख रुपये और घायलों को भी मुआवजा देने का ऐलान किया है।



योगी ने सोनभद्र नरसंहार के लिए कांग्रेस को ठहराया जिम्मेदार


सीएम योगी ने कहा कि मामले की जांच के लिए बनाई गई दो सदस्यीय समिति ने कल रिपोर्ट सौंप दी है। इस घटना के लिए योगी ने सीधे-सीधे कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इसकी नींव 1955 में ही पड़ गई थी, जब कांग्रेस की सरकार थी। योगी ने कहा कि 1955 से 1989 तक आदर्श सोसाइटी के नाम पर ये जमीन थी, फिर इसे एक व्यक्ति के नाम पर कर दिया गया था और उस व्यक्ति ने ग्राम प्रधान को ये जमीन 2017 में बेच दी थी।



सोनभद्र में धारा 144 लागू


योगी ने आगे कहा कि मैंने खुद व्यक्तिगत तौर पर डीजीपी को इस मामले की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं। सीएम बोले कि इस जमीन पर काफी समय से विवाद चल रहा था। इस बीच सोनभद्र में घटना वाली जगह पर धारा 144 लगा दी गई है।


SDM घोरावल, CO सिटी, SHO निलंबित


सीएम योगी ने कहा कि कागजों में हेरफेर करके जमीन को गलत तरीके से हड़पने का काम 1955 और 1989 में हुआ, जब कांग्रेस की सरकार थी। योगी ने कहा कि इस मामले में सोनभद्र में हुए संघर्ष मामले में उपमंडलीय मजिस्ट्रेट, सर्किल अधिकारी और पुलिस निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है। सीएम ने बताया कि सोनभद्र भूमि विवाद मामले की जांच के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है जो दस दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंपेगी। सोनभद्र संघर्ष के सिलसिले में ग्राम प्रधान और उसके भाई समेत 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अतिरिक्त महानिदेशक (वाराणसी जोन) से 17 जुलाई से पहले सोनभद्र में आदिवासियों और ग्राम प्रधान द्वारा दर्ज कराए मामलों की जांच करने के लिए कहा गया है।


प्रियंका को सोनभद्र जाने से रोका गया


इस बीच मामले पीड़ित परिवार से मिलने जा रही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के काफिले को प्रशासन द्वारा रोक दिया गया है। उन्हें सोनभद्र जाने नहीं दिया जा रहा है। इस बीच वाराणसी पहुंचकर प्रियंका ने सोनभद्र नरसंहार के पीड़ितों से अस्पताल में मुलाकात की।



वाराणसी में प्रियंका गांधी को सोनभद्र जाने से पहले वहां पर शांति व्यवस्था का हवाला देकर और धारा 144 लागू होने की बात कहकर रामनगर टेंगरा मोड़ पर रोक दिया गया जिससे नाराज होकर प्रियंका गांधी और उनके सारे समर्थक धरने पर बैठ गए लेकिन प्रशासन की बातचीत के बाद प्रियंका गांधी से जब पूछा गया कि आपको कहां जाना है तो उन्होंने कहा कि मुझे नहीं मालूम इस पर प्रशासन की गाड़ी में स्वयं बैठ गई और उन्हें मिर्जापुर की तरफ ले जाया गया है।


सोनभद्र नरसंहार में 10 लोगों की हत्या 


बता दें कि सोनभद्र में जमीन विवाद को लेकर बुधवार (17 जुलाई) को हुई झड़प खूनी नरसंहार में बदल गई, जिसने 10 लोगों की जान ले ली, जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए। इस मामले में पुलिस ने 24 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।  ग्राम प्रधान और उसके समर्थकों द्वारा एक प्रतिद्वंद्वी समूह पर कथित तौर पर गोलियां बरसाने की घटना में 18 अन्य घायल हो गए। मृतक गोंड आदिवासी समुदाय से थे। पुलिस ने ग्राम प्रधान के दो भतीजों- गिरिजेश और विमलेश को भी गिरफ्तार कर लिया है और उसका भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। 11 नामजदों के साथ 61 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस घटना के बाद से पूरे इलाके में तनाव का माहौल है, तो दूसरी तरफ सियासत भी शुरू हो गई है।


90 बीघा जमीन और 10 लाशें....

सोनभद्र में 90 बीघा जमीना का .ये विवाद कोई नया नहीं है। काफी महीने से जमीन को लेकर दो पक्षो में विवाद चल रहा था। जिसने 17 जुलाई को खूनी रूप ले लिया। इस जमीन विवाद की साल 2017 में उस वक्त शुरू हुई, जब घोरावल कोतवाली क्षेत्र के उभभा गांव के ग्राम प्रधान ने ये विवादित 90 बीघा जमीन खरीदी। उस वक्त ग्राम प्रधान का विरोधी एक पक्ष ने इसे जमीन पर कब्जा बताया। यही कारण है कि उस वक्त ग्राम प्रधान ने जमीन तो खरीद ली थी, लेकिन जमीन पर कब्जा हनीं ले सका था। तभी से मामले ने तूल पकड़ा हुआ है। यूपी के डीजीपी ओपी सिंह के मुताबिक, इस विवादित जमीन को पहले बिहार कैडर के एक आईपीएस अधिकारी ने खरीदा था। उस वक्त भी गांववालों ने इसका विरोध किया था। एक पक्ष का कहना है कि जमीन को कब्जाया जा रहा है, जो वो होने नहीं देंगे।


आईपीएस के बाद प्रधान ने जमीन मामले में एंट्री ली। तब से आए दिन उभभा गांव में जमीनी विवाद पर लड़ाई-झगड़े होते रहे। कहा जा रहा है कि दो साल तक जमीन विवाद को लेकर हो रहे झगड़ों से तंग आकर ग्राम प्रधान योजनाबद्ध तरीके से 17 जुलाई को 30 ट्रैक्टर ट्रॉलियों में अपने समर्थकों को भरकर उभभा गांव पहुंचा था। प्रधान के समर्थकों ने जमीन पर जुताई शुरू कर दी। जैसे ही, इसकी खबर जैसे ही गांववालों को लगी...कई लोग मौके पर पहुंच गए। देखते ही देखते प्रधान के समर्थकों ने वहां मौजूद दूसरे पक्ष के लोगों पर लाठियां बरसाई शुरू कर दी। फिर प्रधान के पक्ष के लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी। इस दौरान कई लोगों को गोली लगी, दर्जनों घायल हो गए। घटना के बाद हर तरफ चीख-पुकार मच गई। इस घटना में 6 पुरुषों और 3 महिलाओं ने मौके पर दम तोड़ दिया, जबकि एक की इलाज के दौरान मौत हो गई।