Sonbhadra News: सोनभद्र के आवासीय कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (Kasturba Gandhi Balika Vidyalaya) में छात्राओं से पैर मसाज और टॉयलेट साफ करने का मामला प्रकाश में आया है, छात्राओं ने 2 शिक्षकों पर पैर मसाज व टॉयलेट साफ कराने का आरोप लगाया है. शिक्षकों की इसी हरकत के चलते एक दर्जन से ज्यादा बच्चे विद्यालय छोड़ कर घर लौट चुके हैं. इस मामले के प्रकाश में आते ही हड़कंप मच गया है. आनन-फानन में शिक्षा विभाग जांचने की बात कह रहा है पर लोगों का आरोप है कि आए दिन सरकारी स्कूलों की दुर्दशा की खबर सामने आती है पर जांच के नाम पर सब ठंडे बस्ते में चला जाता है.
शिक्षिकाएं कराती हैं पैर मसाज
मामला जनपद सोनभद्र के नगवा ब्लाक अंतर्गत नंदना गांव में स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय का बताया जा रहा है, जहां पर विद्यालय में कार्यरत 2 महिला शिक्षकों द्वारा कक्षा 7 व कक्षा 8 कक्षा की छात्राओं से पैर मसाज और शौचालय साफ करवाने का मामला प्रकाश में आया है. छात्राओं का कहना है कि आए दिन विद्यालय की 2 शिक्षिकाएं बच्चों से पैर मसाज और शौचालय साफ करने के लिए कहती थीं ऐसा न करने पर धमकाती और विद्यालय से बाहर करने की धमकी देती थीं, जिस वजह से कक्षा 6 और 7 के लगभग एक दर्जन छात्राएं अपने घर लौट गईं और अपने परिजनों को वहां की स्थिति बतायी. बच्चों संग ब्लॉक पहुंचे परिजनों ने बीडीओ व ब्लाक प्रमुख से मामले की शिकायत की. इसके बाद इन लोगों द्वारा शिक्षा विभाग को सूचित किया गया जहां आनन-फानन में शिक्षा विभाग के बीएसए ने जांच बैठाई.
बीडीओ ने नकारे आरोप
बच्चों का कहना है कि आवासीय विद्यालय कस्तूरबा में 2 शिक्षिकाएं हमेशा पैर दबाने के लिए कहती थीं और शौचालय साफ करने के लिए धमकाती थी ऐसा न करने पर विद्यालय से बाहर करने और खाना न देने की बात भी कही थी. वहीं बच्चों के परिजन का कहना है कि वह अपने बच्चों को कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में पढ़ने के लिए भेजती है लेकिन वहां शिक्षकों द्वारा ऐसी हरकत करने पर वह अपने बच्चों को विद्यालय नहीं भेजेंगे जिसकी शिकायत बीडीओ और ब्लॉक प्रमुख से की थी. वहीं इस मामले को लेक जब बीएसए से बात की गई तो उन्होंने कहा कि विद्यालय में रसोईया ने बच्चों को बहला फुसलाकर यह कहलवाया था. उन्होंने कहा कि रसोइया की कार्य प्रणाली को लेकर शिकायत मिली थी जिसकी जांच जारी है, ऐसे में रसोइये ने बच्चों को आगे कर छोटे-मोटे आरोप लगावाये थे, बाद में हमारे तीन एबीएसए द्वारा जांच की गई और यह आरोप निराधार निकले. वहां पर ऐसी कोई बात नहीं है.
ब्लॉक प्रमुख ने की कार्यवाही की मांग
वहीं ब्लॉक प्रमुख से शिकायत करने पहुंचीं बच्चियों की शिकायत सुनने के बाद ब्लॉक प्रमुख अलोक सिंह ने तत्काल आवासीय विद्यालय में पहुंचकर जांच की और संबंधित अधिकारियों को इस बाबत जानकारी देकर उचित कार्यवाही की मांग की. ब्लॉक प्रमुख का कहना है कि इस तरह की बात क्षमा योग्य नहीं है. बच्चों के साथ इस तरह का बर्ताव अगर किया जाता है तो कार्यवाही होनी चाहिए.
बड़ी बात ये है कि जब बच्चे इसको लेकर गंभीर आरोप लगा रहे हैं तो बीएसए इसे सिरे से क्यों नकार रहे हैं. वहीं अगर आरोप गलत हैं तो बच्चे अपने घर क्यों लौट गए और एक हफ्ते बाद भी बच्चे स्कूल नहीं पहुंचे. बहरहाल शिक्षा विभाग के आला अधिकारी अपना तर्क रख रहे हैं, लेकिन बच्चे और परिजन इस पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं. लोगों का आरोप है कि आए दिन सरकारी स्कूलों की दुर्दशा की खबर सामने आती है पर जांच के नाम पर सब ठंडे बस्ते में चला जाता है.
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