Sonbhadra Rain: सोनभद्र में मानसून की बेरुखी से सूखे के हालात, बारिश के लिए इंद्रदेव को मनाने में जुटे किसान
Sonbhadra Weather Update: सूखे और बाढ़ के बीच झूल रहे उत्तर प्रदेश के 2 करोड़ से अधिक किसान इस साल मानसून की दोहरी मार झेल रहे हैं. घरों में रखे अनाज और नकदी खाली होने के बाद कर्जदार हो गए हैं.
Sonbhadra News: मानसून की बेरुखी से सोनभद्र में सूखे के हालात पैदा हो गए हैं. अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे किसानों को झटका लगा है. सितंबर का शुरुआती महीना चल रहा है. अब तक खेतों में धान की रोपाई हो जानी चाहिए थी. कृषि अधिकारी हरी कृष्ण मिश्रा ने बताया कि 16 हजार हेक्टेयर खेत में धान की रोपाई हो पाई है. कृषि विभाग ने 32 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा था. मौसम की सबसे ज्यादा मार धान के किसानों पर पड़ी है. बारिश नहीं होने से किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. उन्होंने कहा कि मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही नहीं साबित हुई.
बारिश की कमी से सोनभद्र में सूखे के हालात
बारिश की कमी का असर खरीफ की फसलों पर भी दिखने लगा है. अन्य स्रोत से सिंचाई के कारण किसानों को खेती का सौदा महंगा साबित हुआ. घरों में रखे अनाज और नकदी खाली होने के बाद कर्जदार हो गए हैं. सूखे और बाढ़ के बीच झूल रहे उत्तर प्रदेश के 2 करोड़ से अधिक किसान इस साल मानसून की दोहरी मार झेल रहे हैं. मानसून के मौसम में केवल दो सप्ताह बचा है और सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में वर्षा की कमी शून्य से 46 प्रतिशत है. लगभग 50 फीसद कम बरसात होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है.
आंकड़ों के मुताबिक जिले में 1,92,337 किसान मौसम की मार झेलने को मजबूर हैं. 25 वर्षीय सतेश कुमार केवाल गांव के रहने वाले हैं. हर साल पिता के साथ 12 बीघा जमीन पर खेती करते हैं. आठ बीघा जमीन पर धान की रोपाई करते हैं और शेष चार बीघा पर मोटे अनाज पैदा करते हैं. इस साल बारिश न होने के कारण सिर्फ 10 कठ्ठा खेत में की गई धान की रोपाई भी सूखने के कगार पर है. जून से अगस्त तक तीन महीनों की बारिश का आंकड़ा तस्वीर को साफ करता है.
जून माह में औसतम 105 मिलीलीटर बारिश के मुकाबले 68 मिलीमीटर हुई. जुलाई माह में 334 मिलीमीटर बारिश के मुकाबले सिर्फ 162 मिलीमीटर और अगस्त माह में औसतन 360 मिलीमटीर के मुकाबले 22 अगस्त तक मात्र 120 मिलीमीटर बारिश हुई. धान की रोपाई पूरे जिले में 50 फीसद से भी अधिक नहीं हो पाई है. पानी के अभाव में रोपी गई फसल भी फसल सूखने लगी है.
औसतन बारिश 60 फीसद से कम या 35 फीसद से ज्यादा फसल होने पर जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया जाता है. उस हिसाब से सोनभद्र जिला सूखाग्रस्त हो चुका है. सूखे की स्थिति का आकलन लेने के लिए रिपोर्ट मांगी जा रही है. सूखी की आशंका से भयभीत किसान बारिश के लिए टोटके का सहारा ले रहे हैं. रूठे इंद्रदेव को मनाने के लिए किसान पूजा अर्चना करने लगे हैं.
रूठे इंद्रदेव को मनाने के लिए टोटके का सहारा
इंद्रदेव के लिए विशेष पूजा का आयोजन किया जा रहा है. मेंढक मढकी की शादी कराकर अच्छी बारिश की कुल देवता से लोग प्रार्थना कर रहे हैं. आदिवासी इलाकों के हर गांव में विशेष पूजा अर्चना हो रही है. सूख की चपेट में सबसे ज्यादा आदिवासी इलाके हैं. बारिश नहीं होने का असर नदी नालों पर भी पड़ा है.
बरसात के दौरान 3 से 4 फीट पानी हमेशा मालिया नदी में रहता था लेकिन आज बिल्कुल सूख चुकी है. करीब 3 महीने बरसात बीत जाने के बाद भी मालिया नदी अभी तक बहना शुरू नहीं हुई है. सोनभद्र में खेती के लिए किसान बारिश पर निर्भर हैं. सिंचाई के लिए कनहर बांध बना गया है लेकिन नहर नहीं तैयार होने के कारण किसनों को पानी नहीं मिल रहा.