ललितपुर: जब एक बेटे की रिहाई की खबर 12 साल बाद उसके पिता और परिवार को हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा. 12 साल से बिछड़ा हुआ बेटा अपने पिता और चाचा से मिला तो उसकी आंखें छलक उठीं. परेशान पिता ने बेटे का माथा चूम लिया. 12 साल बाद बेटा पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर अपने वतन, अपने घर पहुंचा है.


भवुक हो गए पिता और चाचा
सोनू पंजाब के अमृतसर में 12 साल पहले अपने परिवार से दिमागी हालत खराब होने के कारण बिछड़ गया था और पाकिस्तान की जेल में पहुंच गया था. 26 अक्टूबर 2020 को वो भारत पहुंचा. पाकिस्‍तान की जेल से छूटकर भारत पहुंचा सोनू सिंह आखिरकार अपने परिजनों से मिला. सोनू जब अपने पिता और चाचा से मिला तो उसकी आंखें छलक आईं.


पिता और चाचा लेने पहुंचे
उत्तर प्रदेश के ललितपुर के गांव सतवांसा से सोनू को उसके पिता रोशन सिंह और चाचा उदय सिंह लेने पहुंचे हैं. पिता ने लाडले को देखा तो उसके माथे को चूम लिया. दोनों पिता-पुत्र इस दौरान बेहद भावुक हो गए. चाचा ने भी उसे गले से लगा लिया. अपने चाचा के गले लगकर सोनू सिंह बेहद भावुक हो गया.



अटारी सीमा के रास्ते भारत पहुंचा सोनू
उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले का सोनू सिंह 12 साल पहले दिमागी परेशानी की हालत में अमृतसर में घरवालों से बिछड़ गया था. सोनू सिंह 26 अक्टूबर 2020 को चार अन्य भारतीय कैदियों के साथ पाकिस्तान की जेलों से रिहाई के बाद अटारी सीमा के रास्ते भारत पहुंचा था. तबसे उसे नारायणगढ़ स्थित कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में क्वारंटाइन किया गया था.


सबसे छोटा बेटा है सोनू सिंह
पिता रोशन सिंह ने बताया कि उनके चार बेटे हैं और सोनू सिंह उनका सबसे बेटा है. उन्हें अधिकारियों से पता चला कि सोनू पाकिस्तान की जेल में बंद है. अब उन्हें अधिकारियों से ही पता चला कि उनका बेटा पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर भारत पहुंच चुका है और इस वक्त वो छेहरटा के नारायणगढ़ में कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में है. वो गांव के सरपंच का पत्र लेकर सोनू को लेने पहुंचे तो पता चला कि इसके लिए उनके दारोगा या इलाके के एसडीएम का पत्र भी जरूरी है, इसलिए अब वे अपने गांव में संपर्क कर दस्तावेज मंगवाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि बेटे को अपने घर ले जा सकें.


जरूरी है दस्तावेज
हेल्थ सेंटर में तैनात सुरक्षा अधिकारी मनिंदर सिंह ने उन्हें बताया कि वो अपने थाना या सब डिवीजन ऑफिस से इस संबंधी एक फैक्स मंगवा लें क्योंकि सोनू सिंह को उत्तर प्रदेश ले जाने संबंधी दारोगा या एसडीएम का दस्तावेज बेहद जरूरी है.



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