लखनऊ: लव जिहाद पर पास हुए ऑर्डिनेंस का विरोध करने के लिए सपा और कांग्रेस को अभी करना होगा लंबा इंतजार, जानें- क्यों
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 को मंजूरी दे दी. आम बोलचाल की भाषा में कहें तो लव जिहाद से जुड़े ऑर्डिनेंस को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बन चुका है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जब लव जिहाद के बढ़ते मामलों पर जब संघ ने चिंता जाहिर की तब सरकार को कानून बनाने की याद आई. 4 दिन पहले कैबिनेट बैठक में धर्म परिवर्तन से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और शनिवार को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी. लव जिहाद पर इस ऑर्डिनेंस का विरोध भी अब शुरू हो गया है. सपा हो या कांग्रेस दोनों ही सदन में इसकी खिलाफत करने की बात कह रहे हैं.
संघ की बैठक में लव जिहाद का मुद्दा उठा था उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 को मंजूरी दे दी. आम बोलचाल की भाषा में कहें तो लव जिहाद से जुड़े ऑर्डिनेंस को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बन चुका है. बीते कुछ समय में उत्तर प्रदेश में 50 से ज्यादा लव जिहाद के मामले सामने आ चुके हैं, और कानपुर में जब संघ की बैठक हुई थी तो संघ के पदाधिकारियों ने सरसंघचालक मोहन भागवत के सामने भी लव जिहाद का मुद्दा उठाया था.
लव जिहाद के खिलाफ बन गया कानून संघ की चिंता लव जिहाद पर बढ़ी तो सरकार ने इस मामले में न्याय विभाग को कानून का प्रारूप तैयार करने को कहा, फिर 24 नवंबर को योगी कैबिनेट ने धर्म परिवर्तन से जुड़े इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. जिसके बाद ऑर्डिनेंस के लिए यह प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा गया और आज राज्यपाल ने इस ऑर्डिनेंस पर दस्तखत कर दिए. जिसके बाद अब यह कानून बन गया है.
सदन में भी सरकार को पास कराना होगा उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा रखी थी और इसीलिए कानून बनाने के लिए सदन का इंतजार नहीं किया गया. अमूमन कैबिनेट से पास प्रस्ताव को सत्र के दौरान पहले विधानसभा में और फिर विधान परिषद में पास कराया जाता है और उसके बाद राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाता है. लेकिन, जब इमरजेंसी की सिचुएशन होती है और सदन नहीं चल रहा होता है तो सीधा उस प्रस्ताव को राज्यपाल के पास भेजकर अध्यादेश को मंजूरी दिलाई जाती है. हालांकि इसे सदन में भी सरकार को पास कराना होगा और यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव साफ तौर पर कह रहे हैं कि वो विधानसभा में इस कानून का विरोध करेंगे. लेकिन इसके लिए उन्हें विधानसभा के शीतकालीन सत्र का इंतजार करना पड़ेगा जो फिलहाल इस कोरोना काल में जल्द होता नजर नहीं आ रहा है.
धर्म परिवर्तन पर कानून तो पहले से ही मौजूद है लव जिहाद को लेकर पास हुए इस ऑर्डिनेंस का विरोध केवल समाजवादी पार्टी ही सदन में करने की बात नहीं कह रही है बल्कि कांग्रेस भी साफ तौर पर यह कह रही है कि विधान परिषद में वो इस कानून में संशोधन का प्रस्ताव लाएंगे. कांग्रेस का ये भी कहना है कि दरअसल, यह कानून सरकार ने इसलिए पास कराया है क्योंकि उसे अमीरों को बचाना है गरीबों को परेशान करना है. पार्टी के एमएलसी दीपक सिंह साफ तौर पर कह रहे हैं कि धर्म परिवर्तन पर कानून तो पहले से ही मौजूद है.
विपक्ष को करना होगा इंतजार राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद ही अब धर्म परिवर्तन एक कानून का रूप ले चुका है और जल्द ही शीतकालीन सत्र में इसे विधानमंडल के दोनों सदनों में भी पास कराया जाएगा. जाहिर है तब सियासी दल इसे लेकर सदन में हंगामा करते भी नजर आ सकते हैं. हालांकि, अभी विरोध करने के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.
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