Etawah: जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट बचाने के लिये सपा और प्रसपा में हुई गलबहियां
समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने मौका और दस्तूर देखते हुये आपस में हाथ मिलाया है. अपनी राजनीतिक विरासत क बचाने के लिये दोनों पार्टियां एक मंच पर आ गई हैं.
इटावा: विरासत बचाने के लिए इटावा में समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी फिलहाल एक हो गये हैं. ज़िला पंचायत अध्यक्ष पद की सीट पर भतीजे अंशुल को बनाये रखने के लिए चाचा शिवपाल यादव और सपा ने रणनीति बनाई है. सपा और प्रसपा के द्वारा जारी ज़िला पंचायत लिस्ट में सात उम्मीदवार एक ही हैं. चाचा शिवपाल सपा प्रत्याशी अंशुल यादव को अध्यक्ष पद के लिए पहले ही आशीर्वाद दे चुके हैं. वहीं, इस पर प्रसपा महासचिव और शिवपाल के बेटे अंकुर यादव ने कहा कि, कुछ सीट पर बात हुई है.
वहीं, भाजपा से प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य ने प्रसपा-सपा की इस रणनीति को सपा की घबराहट और राजनीतिक रूप से जिंदा बने रहने की रणनीति बताया. उन्होंने कहा कि, जब सपा-बसपा एक होकर 2019 लोकसभा चुनाव में कुछ नहीं कर पाए तो यह दोनों एक होकर क्या कर लेंगे?
जिला पंचायत सीट के लिये एक हुए सपा-प्रसपा
मुलायम परिवार में भले ही चाचा-भतीजे को लेकर राजनीतिक जंग चल रही हो, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष पद की विरासत की सीट को बचाने के लिए फिलहाल सपा और प्रसपा एक होकर इटावा में जिला पंचायत के चुनाव लड़ रही है. जिसके चलते सपा और प्रसपा ने निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष अभिषेक उर्फ अंशुल यादव को दोबारा से जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दी है. इसी को लेकर जसवंत नगर विधानसभा सीट में चाचा शिवपाल यादव ने बसपा समर्थित प्रत्याशी के पक्ष में जनसभा करते हुए सपा के प्रत्याशी भतीजे अंशुल यादव को खुले मंच से आशीर्वाद दे दिया था, जिसका प्रमाण प्रसपा द्वारा जारी ज़िला पंचायत समर्थित प्रत्याशियों की लिस्ट में देखने को मिला.
जिसमें अंशुल यादव का नाम प्रसपा की लिस्ट में था सिर्फ अंशुल ही नहीं ऐसे और सात नाम भी सपा एवं प्रसपा की लिस्ट में देखने को मिल रहे हैं, जो एक ही हैं. वहीं, इस बारे में शिवपाल सिंह के पुत्र एवं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के महासचिव अंकुर यादव ने कहा कि, इटावा की 24 जिला पंचायत सीटों में से जिन पर कुछ सीटों में सपा के साथ सामंजस्य बैठा है, उन पर दोनों ही पार्टियां साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं.
बीजेपी ने किया हमला
वहीं, इस बारे में भारतीय जनता पार्टी के राज्य कार्य समिति के सदस्य डॉ रमाकांत शर्मा ने इस जुगलबंदी को मात्र राजनीतिक रूप से जिंदा बने रहने की कवायद बताया और कहा कि यह इन दोनों पार्टियों की घबराहट है. जब 2019 में सपा और बसपा मिलकर कुछ नहीं कर पाए तो इन पंचायत चुनाव में सपा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी भी कुछ नहीं कर पाएगी. बताते चलें कि, इटावा में जिला पंचायत सदस्य की 24 सीटें आती हैं.
ये है समीकरण
वहीं, जसवंत नगर विधानसभा से 9 जिला पंचायत सदस्यों की सीटें आती हैं और यह सीटें जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ऐसे में निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष अंशुल यादव को दोबारा से जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए चाचा शिवपाल सिंह का आशीर्वाद लेना बहुत जरूरी था. अगर यहां भी सपा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में तालमेल नहीं बैठता तो जिला पंचायत अध्यक्ष पद की सीट समाजवादी पार्टी के लिए बहुत मुश्किल हो जाती. बता दें कि, जिला पंचायत अध्यक्ष पद की सीट पर शुरू से ही समाजवादी पार्टी एवं सपा परिवार का प्रभुत्व कायम रहा है, ऐसे में विरासत की इस सीट को बचाने के लिए बहुत जरूरी था कि समाजवादी पार्टी और शिवपाल सिंह का गठजोड़ होना जरूरी था.
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