UP Election:  उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की शहर सीट पर इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है. समाजवादी पार्टी ने यहां से राजेश अग्रवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है तो वहीं बीजेपी ने डॉ अरुण कुमार पर तीसरी बार भरोसा जताया है. दोनों ही राजनीतिक दल इस बार अपनी जीत के दावे कर रहे हैं और उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंकी हुई है. लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ये सीट बीजेपी का गढ़ रही हैं. आज तक सपा और बसपा यहां अपना खाता नहीं खोल सके हैं.

 

बीजेपी के गढ़ में सेंध लगा पाएंगे अखिलेश

बरेली शहर विधानसभा में 1985 से लेकर आज तक भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. समाजवादी पार्टी हो या बहुजन समाज पार्टी कोई भी बीजेपी के गढ़ में सेंध नहीं लगा पाई है. लेकिन सपा इस बार दावा कर रही हैं कि इस बार सिर्फ ये सीट ही नहीं बल्कि सभी 9 सीटों पर साइकिल दौड़ेगी. सपा ने अपने पार्षद राजेश अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है. राजेश अग्रवाल को काफी सरल और सहज व्यक्ति माना जाता है. उनकी छवि बेहद साफ है. बीजेपी के कई नेता भी उन्हें काफी पसंद करते हैं. 

 

बीजेपी के डॉ अरुण कुमार मैदान में 

वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने अपने सिटिंग विधायक डॉ अरुण कुमार पर तीसरी बार भरोसा जताया है. अरुण कुमार पेशे से डॉक्टर हैं, गांधी नगर में उनका अस्पताल भी है. डॉ अरुण, शहर सीट से 2007 में सपा से चुनाव लड़ चुके है लेकिन उस वक्त वो हार गए थे. बाद में वो बीजेपी में शामिल हुए और उन्होंने 2012 और 2017 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी की टिकट पर जीत हासिल की.

 

सपा-बसपा का आज तक नहीं खुला खाता

शहर विधानसभा के इतिहास पर नजर डाले तो यहां पर 1951 से लेकर 1969 तक कांग्रेस का कब्ज़ा रहा. 1951 में पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त ने शहर सीट से चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत हासिल की. इसके बाद 1957 , 1962 , और 1967  तक कांग्रेस के जगदीश सरन अग्रवाल का यहां कब्ज़ा रहा. 1969 में बीकेडी से राम सिह खन्ना जीते, 1974  में बीजेपी के डॉ दिनेश जौहरी ने जीत हासिल की. 1977 के चुनाव में जेएनपी के सत्य प्रकाश ने डॉ दिनेश जौहरी को हरा दिया. 1980  में राम सिंह खन्ना ने जीत हासिल की. लेकिन 1885 में डॉ दिनेश जौहरी ने एक बार फिर इस सीट पर जीत दर्ज की. तब से आज तक इस सीट पर बीजेपी ही जीतती आ रही है.