CAA Rules Notification: देश में CAA लागू होने पर अखिलेश यादव की पहली प्रतिक्रिया, जानें क्या बोले सपा मुखिया
Akhilesh Yadav on Citizenship Amendment Act: नागरिकता संशोधन कानून भाजपा के 2019 घोषणापत्र का एक अभिन्न अंग था और इससे उत्पीड़ित लोगों के लिए भारत में नागरिकता पाने का मार्ग खुलेगा.
Citizenship Amendment Act: भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू हो गया है. केंद्र की मोदी सरकार ने इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी है. वहीं देश में सीएए लागू होने को लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. सपा मुखिया अखिलेश ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा है कि देश के नागरिक रोजी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए नागरिकता कानून लाने से क्या होगा.
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा-"जब देश के नागरिक रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता क़ानून’ लाने से क्या होगा? जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है. भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 सालों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गए. चाहे कुछ हो जाए कल ‘इलेक्टोरल बांड’ का हिसाब तो देना ही पड़ेगा और फिर ‘केयर फंड’ का भी."
जब देश के नागरिक रोज़ी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता क़ानून’ लाने से क्या होगा?
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 11, 2024
जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है। भाजपा सरकार ये बताए कि उनके 10 सालों के राज में लाखों नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर क्यों चले गये।
चाहे कुछ हो…
बता दें कि सीएए के जरिए मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले तीन मुल्कों के गैर-मुस्लिम (अल्पसंख्यकों) को भारत की नागरिकता देने के लिए कानून को लागू करने की तैयारी कर चुकी थी. इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इसके लिए पोर्टल भी तैयार है और इस पोर्टल पर नागरिकता पाने के लिए आवेदन किया जा सकता है.
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-हिंदुओं को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी. सीएए के तहत इन देशों से आए हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान शामिल है. संसद के दोनों सदनों से सीएए 11 दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था. इसके एक दिन बाद राष्ट्रपति की ओर से इसे मंजूरी दे दी गई थी.
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