Opposition Meet Bengaluru: बेंगलुरु में विपक्षी नेताओं की दूसरी महाबैठक से साफ हो गया है कि 2024 का मुकाबला बीजेपी नीत एनडीए के लिए आसान नहीं रहने वाला है. दो लोकसभा चुनावों में मिली हार से विपक्ष को अंदाजा हो गया है कि एकजुटता के बिना केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकना असंभव है. दो दिनों तक मंथन करने के बाद विपक्ष ने मोर्चे का नाम 'इंडिया' रखने का फैसला किया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आपत्ति के बावजूद 26 विरोधी दलों ने गठबंधन को इंडिया रखने पर सहमति जताई.


कांग्रेस के बाद अखिलेश यादव ने भी दिखाया बड़ा दिल


जाहिर है कि 2024 का लोकसभा चुनाव प्रमुख रूप से दो ध्रुवीय रहने वाला है. इंडिया बनाम एनडीए के मुकाबले की बिसात बिछने जा रही है. बीजेपी के खिलाफ आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों ने कमर कस ली है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को दिल्ली की गद्दी से हटाने के लिए बेंगलुरु में विपक्षी नेता जुटे थे. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दिल दिखाया है. उन्होंने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को कुछ सीटें देने की पेशकश की है. कल की विपक्षी बैठक में कांग्रेस को सीट मिलने का मुद्दा प्रमुख रूप से उठा था.


दो दिनों तक बेंगलुरु में बीजेपी के खिलाफ हुआ था मंथन


सपा मुखिया ने बड़ा दिल दिखाते हुए कांग्रेस के लिए रजामंदी जाहिर की. उत्तर प्रदेश का महत्व सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों की वजह से है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक सीट पर सिमट गई थी. बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के महगठबंधन को 39.23 प्रतिशत वोट शेयर मिला था. विपक्षी एकता और इंडिया को मजबूत बनाने के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पद का मोह त्याग दिया है. कांग्रेस के दो कदम पीछे हटने पर सपा ने भी बड़ा दिल दिखाया है. बता दें कि बेंगलुरु की महाबैठक से पहले पटना में 23 जून को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में 15 विपक्षी नेता जुटे थे.


Watch: इस सवाल पर भड़के ओम प्रकाश राजभर, सपा को दे डाली इन सीटों पर जीत की चुनौती