Lok Sabha Election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ेंगे. तमाम मशक्कत के बाद दोनों दलों में सीट शेयरिंग को लेकर सहमति बन गई है. जिसके बाद 21 फरवरी को सपा-कांग्रेस ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर इसका एलान कर दिया है. यूपी में सपा ने कांग्रेस को 17 सीटें दी है, जबकि कांग्रेस 22 सीटों की मांग कर रही थी. लेकिन, अखिलेश यादव के आगे कांग्रेस को झुकना पड़ा और सपा अध्यक्ष ने अंत भला तो सब भला कहकर गठबंधन को अंजाम तक पहुंचा दिया. 


यूपी में सपा के साथ गठबंधन के बाद अब दोनों दल बीजेपी के ख़िलाफ़ मज़बूती से लड़ाई का दम भर रहे है, लेकिन कांग्रेस के कई बड़े नेता सीट शेयरिंग के इस फ़ॉर्मूले से उतना खुश नज़र नहीं आ रहे हैं. गठबंधन के लिए कांग्रेस को सपा के दबाव के आगे झुकना पड़ा और उन्हीं सीटों पर राजी होना पड़ा जो अखिलेश यादव ने तय की. ऐसे में कांग्रेस अपने कई बड़े नेताओं के लिए भी सीटें नहीं ले पाई. 


सपा के आगे कमजोर पड़ी कांग्रेस 
यूपी में हुए गठबंधन में कांग्रेस को 17 सीटें मिली हैं. कांग्रेस अमेठी, रायबरेली, कानपुर नगर, सीतापुर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, प्रयागराज, महराजगंज, वाराणसी, बाराबंकी, देवरिया, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, सहारनपुर, मथुरा और गाजियाबाद सीट पर चुनाव लड़ेगी. लेकिन इस सीट बँटवारे में कांग्रेस के बड़े नेताओं की सीट बलि चढ़ गईं. काफ़ी कोशिशों के बाद भी सपा को उन सीटों के लिए कांग्रेस राज़ी नहीं कर पाई. 


सूत्रों के मुताबिक़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय खुद बलिया या घोसी सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. क्योंकि इस क्षेत्र में भूमिहार वोट निर्णायक स्थिति में लेकिन सपा ने इस सीट को अपने पास ही रखा है. इसी तरह फ़र्रुख़ाबाद सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान ख़ुर्शीद चुनाव लड़ना चाहते थे, रामपुर सीट से पूर्व सांसद बेगम नूर बानो, लखनऊ ईस्ट से राज बब्बर और भदोही सीट से कांग्रेस नेता राजेश मिश्रा चुनाव लड़ना चाहते थे. कांग्रेस ने ये सभी सीटें अपनी सूची में रखी थीं, लेकिन सपा के आगे उनकी एक न चली. 


जिसके बाद इस गठबंधन को लेकर कांग्रेस के कई बड़े नेताओं में निराशा है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को अब न चाहते हुए भी वाराणसी से ही चुनाव लड़ना पड़ेगा. वहीं दूसरे कई नेता भी अपनी इच्छा के विरुद्द किसी नई सीट पर मुक़ाबला करते देखे जा सकते हैं. 


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