Swami Prasad Maurya Controversial Statement: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य इन दिनों अपने विवादित बयान को लेकर एक बार फिर चर्चा में बन गए हैं. रामचरित मानस से लेकर हिंदू धर्म और साधु संतों पर दिए गए अपने विवादित बयानों पर वह अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ जब उन्होंने हिंदू धर्म की आलोचना कर दी, जिसके बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति गरमा गई और हर कोई उनका विरोध करते नजर आ रहा है.
इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आईपी सिंह ने अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य को हिदायत दे दी है. दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस बार ब्राह्मणवाद पर सवाल उठाते हुए हिंदू धर्म को धोखा बताया है. फिलहाल अब इस पर राजनीति तेज हो गई है. जहां सुभासपा से लेकर कांग्रेस नेता ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर निशाना साधा, वहीं अब उनकी ही पार्टी के नेता ने उन्हें हिंदू पर सवाल उठाने से मना कर दिया है.
आईपी सिंह ने दी स्वामी प्रसाद मौर्य को हिदायत
दरअसल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आईपी सिंह ने अपने एक्स सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट करते हुए लिखा 'स्वामी प्रसाद मौर्य को धार्मिक मुद्दों पर हर दिन बोलने से बचना चाहिए, आपने वर्षों पहले बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था. इसका यह मतलब कत्तई नहीं कि आप हिन्दू धर्म की लगातार आलोचना करें. आपने 5 वर्ष बीजेपी में रहते हुए ये मुद्दे नहीं उठाये. आपके ऐसे विचारों से पार्टी हरगिज सहमत नहीं हो सकती ये आपके निजी विचार हो सकते हैं.'
जातीय जनगणना और आरक्षण के मुद्दे उठाने को कहा
आईपी सिंह ने आगे लिखते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य को हिदायत देते हुए बताया की वह सरकार के खिलाफ जातीय जनगणना और आरक्षण के मुद्दे पर अपनी आवाज बुलंद करें. आईपी सिंह ने लिखा 'जातीय जनगणना पर लड़िये, आरक्षण का हक मार रही बीजेपी सरकार उसपर लड़िये, PDA की लड़ाई लड़िये, अति पिछड़े वर्ग, अति दलित वर्ग की लड़ाई लड़िये, BHU में पिछड़े वर्ग के छात्रों को छात्रावास मिले उसकी लड़ाई लड़िये'
बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक्स (ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए ब्राह्मणवाद पर सवाल उठाया था. उन्होंने पोस्ट करते हुए लिखा 'ब्राह्मणवाद की जड़े बहुत गहरी है और सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद ही है. हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं, हिंदू धर्म केवल धोखा है. सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कहकर के इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है. अगर हिंदू धर्म होता तो आदिवासियों का भी सम्मान होता है, दलितों का भी सम्मान होता, पिछड़ों का भी सम्मान होता लेकिन क्या विडंबना है.'