Prayagraj News: समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक कमलेश पाठक को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने न सिर्फ कमलेश पाठक की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है, बल्कि अपने फैसले में तल्ख़ टिप्पणी भी की है.अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि जन प्रतिनिधि समाज के संरक्षक होते हैं. उन पर जनता के प्रति बड़ी ज़िम्मेदारी होती है. उनसे यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह आपराधिक घटनाओं में शामिल होकर समाज में नुकसान पहुंचाएं.


अदालत ने कमलेश पाठक के खिलाफ दर्ज गंभीर धाराओं के कई आपराधिक मुक़दमे वापस लिए जाने पर हैरानी जताई और उसकी अर्जी को खारिज कर दिया. मामले की सुनवाई जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच में हुई.अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कमलेश पाठक का लंबा आपराधिक इतिहास है. उसके खिलाफ तीन दर्जन से ज़्यादा क्रिमिनल केस दर्ज हैं. तमाम लोग डर की वजह से उसके खिलाफ या तो शिकायत नहीं दर्ज करा पाते या फिर मामलों की पैरवी में तेजी नहीं दिखाते.


कोर्ट ने जमानत अर्जी की रद्द
अदालत ने कमलेश पाठक को जमानत का हकदार नहीं माना. हालांकि अदालत ने औरैया जिले की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट को कमलेश के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मुक़दमे का निपटारा मेरिट के मुताबिक जल्द करने का आदेश ज़रूर दिया है.सात मुकदमे राज्य सरकार ने वापस कर लिए हैं. दो मुकदमे में से कोई नोटिस या समन नहीं हुआ है. दो मुकदमे एनएसए के तहत दर्ज है, जबकि चार मुकदमों में ट्रायल अभी चल रहा है. मौत के घाट उतारे गए अधिवक्ता मंजुल चौबे के परिवार ने कमलेश पाठक की जमानत अर्जी का विरोध किया.


कई गंभीर मुकदमे हैं दर्ज
समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी कमलेश पाठक के खिलाफ औरैया के औरैया थाने में 11 जुलाई 2020 को गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. उसके खिलाफ मर्डर और हत्या के प्रयास सहित तमाम अन्य गंभीर धाराओं में दर्ज मुकदमों को आधार बनाते हुए गैंगस्टर का केस कायम किया गया था. आरोप है कि कमलेश पाठक क्रिमिनल गैंग चलाता है और खुद अपने गैंग का लीडर है.कमलेश का गिरोह रंगदारी, फिरौती वसूलने, सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने,जैसी घटनाओं को अंजाम देकर आर्थिक लाभ लेता है.


2020 से जेल में बंद है कमलेश पाठक
कमलेश पाठक पर आरोप था कि औरैया के आर्य नगर स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर की जमीन के लिए उसने अधिवक्ता मंजुल चौबे और उसकी बहन सुधा चौबे की हत्या कर दी थी. इस सनसनीखेज घटना के बाद उसका दबदबा और बढ़ गया था. कमलेश की एक जमानत अर्जी पहले ही खारिज हो चुकी है. यह उसकी दूसरी जमानत अर्जी थी. कमलेश पाठक 14 जुलाई 2020 से जेल में बंद है. कुल सैंतीस में से आठ मुकदमों में वह बरी हो चुका है.13 मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लग गई है.


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