प्रयागराज, मोहम्मद मोईन। प्रयागराज की जिला अदालत ने समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक जवाहर पंडित मर्डर केस में सुनवाई पूरी होने के बाद अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया है। अदालत इस मामले में 31 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाएगी। यूपी की सियासत में सनसनी मचाने वाले इस चर्चित मर्डर केस में प्रयागराज के करवरिया ब्रदर्स आरोपी हैं। आरोपी करवरिया ब्रदर्स में सबसे बड़े कपिल मुनि बीएसपी के पूर्व सांसद रहे हैं, जबकि मझले भाई उदयभान दो बार के विधायक और सबसे छोटे सूरजभान एमएलसी रह चुके हैं। उदयभान करवरिया की पत्नी नीलम करवरिया मौजूदा समय में बीजेपी की विधायक हैं।


इस मामले में हाईकोर्ट के निर्देश पर पिछले दो सालों से डे-टू-डे बेसिस पर सुनवाई चल रही थी। इस सनसनीखेज मर्डर केस में राजस्थान के गवर्नर कलराज मिश्र समेत डेढ़ सौ से ज़्यादा लोगों की गवाही हुई है। अदालत में सुनवाई पूरी होने के बाद जवाहर पंडित के परिवार वालों ने राहत की सांस ली है।


जवाहर पंडित की पत्नी और तीन बार की विधायक रहीं विजमा यादव का कहना है कि उन्हें इस बात की पूरी उम्मीद है कि अदालत दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा सुनाएगा। इस चर्चित मामले में यूपी की योगी सरकार को पहले ही बड़ा झटका लग चुका है। योगी सरकार ने आरोपियों से केस वापस लेने का एलान किया था, लेकिन अदालत ने योगी सरकार के फैसले को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि ट्रिपल मर्डर केस में सुनवाई ख़त्म होने के वक्त केस वापस लिया जाना कतई ठीक नहीं है।



गौरतलब है कि इलाहाबाद की झूंसी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए जवाहर यादव उर्फ़ पंडित और उनके दो सिक्योरिटी गार्ड्स को 13 अगस्त 1996 को इलाहाबाद के ही पॉश इलाके सिविल लाइंस में दिनदहाड़े क़त्ल कर दिया गया था। जवाहर पंडित के परिवार वालों की शिकायत पर पुलिस ने इलाहाबाद के रसूखदार करवरिया परिवार के पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। करवरिया परिवार के तीन सदस्य बाद में जनप्रतिनिधि चुने गए।


सबसे बड़े भाई कपिल मुनि करवरिया साल 2009 में बीएसपी के टिकट पर फूलपुर के सांसद बने तो छोटे भाई उदयभान 2002 और 2007 में दो बार बीजेपी के टिकट पर इलाहाबाद की बारा सीट से विधायक चुने गए। मझले भाई सूरजभान करवरिया भी बीएसपी से यूपी विधान परिषद के सदस्य रहे।



विधायक जवाहर पंडित समेत ट्रिपल मर्डर केस की जांच पहले यूपी पुलिस ने की बाद में तत्कालीन रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव के दखल पर जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई। सीबीसीआईडी की जांच भी उसकी तीन यूनिटों इलाहाबाद, वाराणसी और लखनऊ ने की। सीबीसीआईडी की लखनऊ यूनिट ने आठ साल बाद जांच पूरी कर साल 2004 में जो चार्जशीट दाखिल की उसमे करवरिया ब्रदर्स समेत सभी पांच नामजद आरोपियों के नाम शामिल थे। इस मामले में करवरिया ब्रदर्स पिछले करीब छह सालों से जेल में बंद हैं।