SP MP ST Hasan on PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विपक्षी गठबंधन INDIA को ईस्ट इंडिया कंपनी और आतंकी संगठनों से जोड़ने वाले बयान पर समाजवादी पार्टी के मुरादाबाद से सांसद डॉ एसटी हसन ने प्रधानमंत्री पर पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जिस पार्टी से आते हैं, उसकी मदर पार्टियों ने अंग्रेजों की मुखबिरी की थी और जंगे आजादी का विरोध किया था. सपा सांसद ने कहा कि एक भी आदमी उनका जंगे आजादी में शहीद नहीं हुआ था, आज फिर प्रधानमंत्री की ज़ुबान पर ईस्ट इंडिया कंपनी आ गई.
सपा सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री अपने स्तर से नीचे के बयान दे रहे हैं उन्हें ये शोभा नहीं देता है. सपा सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पहले भी विपक्ष के गठबंधन को भ्रष्ट और चोर बता दिया था और अब उन्होंने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी और आतंकी संगठनों से जोड़ दिया है. जब प्रधानमंत्री इस तरह की बात करते हैं तो बुरा लगता है वह देश के प्रधानमंत्री हैं उन्हें इस तरह के घटिया बयान नहीं देने चाहिए. वह जिनके बारे में इस तरह के आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं उस गठबंधन में बड़े-बड़े नेता हैं और देश का अधिकतर मतदाता उनके साथ हैं. विदेशों में भी उनकी अच्छी छवि है प्रधानमंत्री को इस तरह के बयान नहीं देना चाहिए. प्रधानमंत्री इस तरह के बयान देकर देशवासियों का अपमान कर रहे हैं. प्रधानमंत्री जब इस तरह का बयान देते हैं तो दिल को तकलीफ होती है.
ज्ञानवापी मस्जिद पर भी दी प्रतिक्रिया
ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में सपा सांसद ने कहा कि कार्यवाही कोर्ट में चल रही है. इसलिए हम उस पर कुछ नहीं कह सकते, लेकिन आज देश संविधान से चल रहा है. आजादी से पहले यहां अंग्रेज हुकूमत करते थे उससे पहले मुगल आए और उससे पहले और बहुत से आक्रमणकारी इस देश में आए. 2000 साल पहले सेंट्रल एशिया से आए आक्रांता आये थे, जिन्होंने हमारे देशवासियों को शूद्र बना दिया. संविधान से हम 300 साल पहले के मामलों को तय नहीं कर सकते हैं इसलिए जो स्टेटस मस्जिद का है उसे हम बदल नहीं सकते हैं.
बादशाह की जबान ही संविधान होता था
सपा सांसद ने जब संविधान नहीं था पहले बादशाहों की हुकूमत थी तो सारी जमीन बादशाह की होती थी उसकी जबान ही संविधान होता था. इसलिए हम अगर इतिहास में जाएंगे तो इस देश पर बहुत सारे लोग आए लेकिन हमें आज के दौर में आजादी के बाद से जो संविधान मिला है. उसके हिसाब से चलना है संविधान के बनने से पहले के मामलों को हम इस संविधान से तय नहीं कर सकते. यह उस समय की मस्जिद है साढ़े तीन सौ साल पुरानी जब बादशाहों की हुकूमत होती थी इसलिए कहां-कहां क्या-क्या हुआ हम उसे नहीं बदल सकते.