UP पंचायत चुनाव: BJP को नहीं मिला वोटरों का साथ, SP को दिखी उम्मीद की किरण, कांग्रेस को अभी अच्छे दिनों का इंतजार
यूपी में पंचायत चुनाव के अभी तक के नतीजों में सपा सत्ताधारी बीजेपी पर भारी पड़ती दिख रही है. बसपा ने भी चुनावों में ठीक-ठाक प्रदर्शन किया है. हालांकि कांग्रेस कुछ खास कमाल नहीं कर पाई है.
लखनऊ. यूपी में विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखे जा रहे पंचायत चुनाव के जो नतीजे सामने आए हैं उसमें सत्ताधारी बीजेपी कहीं ना कहीं पिछड़ती नजर आ रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार पंचायत चुनाव की जितनी बंपर तैयारी सत्ताधारी बीजेपी ने की थी उतनी किसी भी दल ने नहीं की थी. ज्यादातर जिलों में बीजेपी को समाजवादी पार्टी (सपा) से कड़ी टक्कर मिली है. कई जगहों पर तो सपा के उम्मीदवार बीजेपी के उम्मीदवारों पर भारी पड़े हैं. इस चुनाव ने जहां बीजेपी को मंथन पर मजबूर किया है तो वहीं सपा को विधानसभा चुनाव से पहले उम्मीद की एक किरण दिखाई है. जबकि कांग्रेस इन चुनाव में भी अभी पार्टी के अच्छे दिनों का इंतजार ही कर रही है.
उत्तर प्रदेश में पंचायत के चुनाव चार चरणों में हुए. जिला पंचायत वार्ड के 3050 सीटों पर इन चार चरणों में वोट डाले गए. अभी तक जिला पंचायत वार्ड के लगभग 3050 वार्ड में से ज्यादा के परिणाम सामने आ गए हैं. कई जगह रुझान आ गए हैं. नतीजों या रुझान के मुताबिक अब तक बीजेपी 764 पर जीत हासिल कर चुकी है. वहीं, सपा उससे महज 2 सीट कम 762 सीटें जीत चुकी है. बसपा को 369 सीटें मिलीं हैं जबकि कांग्रेस को महज 80 सीटें मिली हैं. वहीं सबसे ज्यादा निर्दलीयों ने जिला पंचायत के चुनाव में बाजी मारी है. पूरे प्रदेश में 1075 निर्दलीय जीतने में कामयाब हुए हैं.
यह पहला मौका था जब बीजेपी ने इस पंचायत चुनाव को इतनी तैयारी के साथ लड़ा. सरकार के मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई. सांसद-विधायकों की भी ड्यूटी लगाई गई. टिकट बांटने में लखनऊ में घंटों माथापच्ची हुई. खूब मंथन हुआ, लखनऊ पार्टी दफ्तर में तो वार रूम बनाया गया था, लेकिन उन सब का भी नतीजा सिफर ही निकला.
लखनऊ में बीजेपी को मिली सिर्फ तीन सीटें
राजधानी लखनऊ की बात करें जहां से बीजेपी के दो सांसद हैं. 8 विधायक हैं 3 मंत्री हैं, तो वहां पर पार्टी को 25 सीटों में से सिर्फ 3 पर ही जीत हासिल हुई. जबकि सपा ने कोई खास तैयारी नहीं की, लेकिन फिर भी वो 10 सीटें जीतने में कामयाब रही. बसपा भी बीजेपी से दो कदम आगे निकली और पांच सीटें कब्जा कर ली. निर्दलीयों ने 7 सीटों पर जीत हासिल की.
वाराणसी में भी बीजेपी पर भारी सपा
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी सपा बीजेपी पर भारी साबित हुई. 40 जिला पंचायत की सीटों में से 15 सीटें सपा ने हासिल की जबकि बीजेपी को केवल 7 सीट पर ही जीत हासिल हुई. वहीं बसपा को 5 और कांग्रेस को भी यहां 5 सीटें मिली हैं.
सीएम सिटी में बराबरी का मुकाबला
सीएम सिटी गोरखपुर में 68 सीटों में से बीजेपी और सपा को 20-20 सीटें हासिल हुई हैं. वहीं निर्दलीयों ने 25 सीटों पर कब्जा जमाया. यह दर्शाते हैं कि कैसे गांव की सरकार चुनने में लोगों ने सत्ताधारी बीजेपी पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जबकि उसके मुकाबले विपक्षी दलों पर ज्यादा भरोसा जताया है.
राम नगरी में भी खूब दौड़ी साइकिल
अयोध्या में जिला पंचायत की 40 सीटों में से 24 पर सपा ने जीत हासिल कर ली जबकि बीजेपी के खाते में महज 6 सीटें ही आई. बसपा को यहां पांच सीटें मिली जबकि 5 सीटें निर्दलीयों के खाते में गई हैं. प्रयागराज में जिला पंचायत की 84 सीटें हैं, जिनमें बीजेपी को 15 पर जीत हासिल हुई है, वहीं सपा को 24 सीटें मिली हैं. निर्दलीयों के खाते में 34 सीट गई हैं और बसपा को 4 सीटें मिली हैं.
अगर दलितों की राजधानी के रूप में मशहूर ताज नगरी आगरा की बात करें तो यहां बसपा को अच्छी खासी सीटें मिली हैं. कुल 51 जिला पंचायत की सीटों में से 17 सीटों पर बसपा जीती है. हालांकि बीजेपी को यहां सबसे ज्यादा बढ़त हासिल हुई है पार्टी ने यहां 19 सीटें जीती हैं. वहीं, सपा को यहां महज 5 सीटें मिली हैं. 9 सीटों पर निर्दलीय विजयी हुए हैं. सपा के गढ़ आजमगढ़ की जिला पंचायत की 84 सीटों में से सपा ने 25 सीटें हासिल की है. बसपा ने 14 सीटें हासिल की है जबकि बीजेपी तीसरे नंबर बीजेपी को 10 सीटें ही हासिल हुई है और निर्दलीयों ने 29 सीटों पर कब्जा जमाया है.
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