अनुभव शुक्ला, लखनऊ। लोकसभा चुनावों के बाद जब बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया तब इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि अब सपा में शिवपाल यादव की घर वापसी हो जाएगी। इसके पीछे पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव की सुलह की कोशिशों को बड़ी वजह बताई जा रही थी। इस बात को तब और भी बल मिल गया जब मुलायम सिंह यादव बीमार थे और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनका हालचाल जानने के लिये पहुंचे थे। तब अखिलेश यादव के साथ वहां शिवपाल यादव भी मौजूद थे। इन तस्वीरों के सामने आने के बाद ये सुगबुगाहट और तेज हो गई थी कि जल्दी शिवपाल यादव की सपा में वापसी हो जाएगी।
सपा ने जिस तरीके से जसवंत नगर से पार्टी के विधायक शिवपाल यादव की विधानसभा सदस्यता दल बदल कानून का हवाला देते हुए रद्द करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को अर्जी दी है उसे यह बिल्कुल साफ हो गया है कि सपा अब शिवपाल यादव की घर वापसी के मूड में नहीं है। दरअसल, सपा नेता विधानमंडल दल रामगोविंद चौधरी ने एक याचिका स्पीकर को सौंपी है, जिसमें यह साफ तौर पर कहा गया है कि शिवपाल यादव ने दल बदल कानून का उल्लंघन किया है और इसलिए इनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द की जाए।
2017 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में जो रार हुई उसके बावजूद भी विधानसभा चुनाव शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के टिकट पर जसवंत नगर से लड़े थे और विधायक चुने गए थे, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले पिछले साल अगस्त में शिवपाल यादव ने अपनी अलग प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर लिया था। उन्होंने लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ अपने कैंडिडेट भी उतारे थे। हालांकि धर्मेंद्र यादव, डिंपल यादव, अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव के खिलाफ अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे।
अलबत्ता प्रोफेसर रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के खिलाफ फिरोजाबाद में वह खुद चुनावी मैदान में थे और इसका फायदा बीजेपी को मिल गया था। हालांकि शिवपाल यादव से पहले नितिन अग्रवाल जो पार्टी के विधायक हैं वह भी पार्टी के भीतर बगावत करके खुले मंच पर बीजेपी के साथ नजर आए हैं। उनके पिता नरेश अग्रवाल ने जब बीजेपी ज्वाइन की थी तब भी नितिन अग्रवाल वहां मौजूद थे। बीजेपी के कई कार्यक्रमों में वो शामिल भी होते हैं लेकिन समाजवादी पार्टी ने अभी तक उनके खिलाफ ऐसी कोई भी याचिका नहीं दी है। इससे अखिलेश यादव ने ये साफ संदेश दे दिया है कि अब समाजवादी पार्टी के दरवाजे शिवपाल यादव के लिए पूरी तरह से बंद हो गए हैं। और आगे सुलह समझौते की कोई गुंजाइश अब बची नही है। वहीं शिवपाल यादव भी कई मौके पर ये कह चुके हैं कि उनकी पार्टी का सपा में कभी विलय नही होगा, लेकिन उनसे गठबंधन की गुंजाइश रह सकती है।