UP Politics: पहले झारखंड विधानसभा में नमाज के लिए एक अलग से कमरा आवंटित किया गया और उसके बाद कुछ इसी तरह की मांग उत्तर प्रदेश में भी उठ रही है. समाजवादी पार्टी के कानपुर से विधायक इरफान सोलंकी ने मांग की है कि विधानसभा में नमाज के लिए अलग से एक कक्ष आवंटित किया जाए.
हालांकि इस पर अब एक नई बहस छिड़ गई है. सरकार के मंत्री साफ तौर पर कह रहे हैं कि इसका कोई सवाल ही नहीं उठता है और ये होना भी नहीं चाहिए. वहीं विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित का साफ तौर पर कहना है कि इरफान सोलंकी की तरफ से उनके कार्यालय में ना तो कोई प्रार्थना पत्र आया है ना ही कोई आवेदन उन्होंने दिया है.
समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी कई बार अपने बयानों और विवादों के चलते सुर्खियों में बने रहते हैं. एक बार फिर उनके बयान ने यूपी में नई सियासी बहस छेड़ दी है. दरअसल इरफान सोलंकी ने मांग की है कि झारखंड विधानसभा की तरह उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी नमाज के लिए एक कक्ष आवंटित कर दिया जाए क्योंकि कई बार विधायकों को नमाज के लिए विधानसभा का सत्र छोड़कर मस्जिद में जाना पड़ता है.
इस पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष का साफ तौर पर कहना है कि इरफान सोलंकी ने ना ही कोई प्रार्थना पत्र ना ही कोई प्रत्यावेदन उनके कार्यालय में भेजा है. उनका कहना है कि प्रत्येक विधानसभा की अपनी नियमावली होती है, हालांकि कुछ-कुछ चीजें हर विधानसभा में एक जैसी होती हैं.
विधानसभा के स्पीकर का साफ तौर पर कहना है कि अगर कोई प्रार्थना पत्र उनके कार्यालय में आता है तो उसका अवलोकन करेंगे और उस पर परामर्श लेंगे. उसके बाद ही वह इस पर कुछ कहेंगे. उन्होंने कहा कि अभी तक उनके कार्यालय में इस तरह का कोई भी प्रत्यावेदन या आवेदन पत्र नहीं आया है, और बिना इसके अनुमान या कल्पना के आधार पर कोई बयान नहीं देना चाहिए.
उनसे जब पूछा गया कि क्या विधानसभा की नियमावली में इस तरह से किसी को नमाज के लिए किसी को पूजा के लिए कक्ष आवंटित करने की कोई व्यवस्था है तो उनका साफ तौर पर कहना था कि विधानसभा की नियमावली में इस तरह की कोई भी व्यवस्था नहीं है.
वहीं उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री जयप्रताप सिंह ने इरफान सोलंकी की मांग को सिरे से खारिज किया है. उनका कहना है कि इसका तो कोई सवाल ही नहीं उठता और यह होना भी नहीं चाहिए. वह साफ तौर पर कह रहे हैं कि विधानसभा में हर जाति धर्म के लोगों का प्रतिनिधित्व है. यहां किसी को नमाज पढ़ने के लिए या पूजा करने के लिए अलग से कमरा देने की कोई आवश्यकता नहीं है और यह होना भी नहीं चाहिए क्योंकि इससे देश के अंदर एक गलत संदेश जाता है. वहीं वो ये भी कह रहे है कि शायद झारखंड के मुख्यमंत्री ने किसी दबाव में इस तरह का निर्णय लिया होगा.
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