(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मथुरा: धूमधाम से मनाया गया हुरंगा, कोरोना पर भारी नजर आई आस्था
हुरंगा को होली का बड़ा रूप माना जाता है. मथुरा में हुरंगा के अवसर पर ग्वालों के कपड़े फाड़कर कोड़ा बनाकर हुरियारिनों ने उन्हीं पर बरसाए. इस दृश्य को देखकर यहां आने वाले देशी- विदेशी पर्यटक भाव विभोर हुए बिना नहीं रह पाते हैं.
मथुरा: भले ही राधा-कृष्ण की होली का समापन धूल होली के साथ हो गया हो लेकिन श्री कृष्ण के बड़े भाई और बृज के राजा बलराम जी की नगरी में आज भी होली खेली गई. इस होली में ग्वालों के कपड़े फाड़कर कोड़ा बनाकर हुरियारिनों ने उन्हीं पर बरसाए. अबीर-गुलाल के बीच इन्द्रधनुषी हुरंगा ने लोगों का मन मोह लिया. हुरंगा को होली का बड़ा रूप माना जाता है.
हुरियारिनों ने बरसाए कोड़े भले ही हर जगह होली का समापन हो गया हो लेकिन बृज में चालीस दिन तक चलने वाली होली की गूंज अब भी यहां बनी हुई है. हाथों में बाल्टी लेकर मंदिर परिसर में नाचते हुरियारे एकत्रित हुए. जैसे ही मंदिर के अंदर से बलराम जी की छड़ी रूपी झंडा आया तो यहां मौजूद हुरियारिनों ने इनके कपड़े फाड़ने शुरू कर दिए. कपड़ों को रंग में भिगोकर कोड़ा बनाया और मारना शुरू कर दिया. हुरियारों ने दाऊजी महाराज की जयकारे लगते हुए मंदिर की परिक्रमा की.
अगल है होली का अंदाज हुरंगे के दौरान हुरियारे इतने उत्साहित हो जाते हैं कि वो कभी अपने साथियों को कंधे पर बैठा लेते हैं तो कभी उन्हें गिरा भी देते हैं. इस दौरान लगातार कपड़े के बनाए हुए कोड़े से हुरियारिन इन ग्वालों पर वार करती रहती हैं. इस दृश्य को देखकर यहां आने वाले देशी- विदेशी पर्यटक भाव विभोर हुए बिना नहीं रह पाते हैं.
ये है कथा कहा जाता है कि बरसाने, नन्दगांव और गोकुल की लठामार होली खेलने के बाद बलदाऊ जी ने पूरे बृज के सभी गोपी और ग्वाल बालों से कहा कि आप हमारे यहां आओ, हम तुम्हे क्षीर सागर में नहलाएंगे, माखन मिश्री खिलाएंगे और आप की होली की थकान मिटा देंगे. इस पर सभी गोपी और ग्वाल बाल बलदेव के यहां पहुंचे. वहां देखा तो पानी के आलावा कोई व्यवस्था नहीं थी. बलदाऊ भांग के नशे में मस्त थे. ड्रमों में पानी भरा था. फिर क्या था गोपी गुस्से में आ गईं और बलदाऊ जी सहित सभी ग्वालों के कपड़े फाड़कर उनके कोड़े बनाकर उनकी मजम्मत कर दी.
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