लखनऊ: जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम (JEE) और नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) परीक्षा के आयोजन को लेकर विरोध बढ़ता ही जा रहा है. परीक्षा में अब दस दिनों से भी कम समय बचा है और सुप्रीम कोर्ट ने भी जेईई मेन और नीट परीक्षा आयोजित कराने के लिए अनुमति दे दी है. लेकिन इन सबके बाद भी जेईई मेन और नीट परीक्षा के आयोजन को लेकर जमकर विरोध हो रहा है. छात्रों समेत कई राजनीतिक और बॉलीवुड हस्तियां भी परीक्षा को स्थगित करने की मांग कर रही हैं. इस सबके बीच शिक्षाविद इग्नू एवं पूर्व अध्यक्ष एनआईओएस प्रो सीबी शर्मा से हमारे संवाददाता नीरज कुमार पांडेय ने खास बातचीत की है.
सवाल- नीट-जी एग्जाम को लेकर दो पक्ष हैं, एक जो संक्रमण के खतरे के कारण एग्जाम टालना चाहता है, दूसरा पक्ष कहता है परीक्षा हो वर्ना साल बर्बाद होगा, ऐसे में अभी जरूरी क्या लगता है?
जवाब- सबसे पहले ये कहूंगा कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है. आप सब हम निकल रहे हैं, हम लोग नॉर्मल की तरफ जा रहे हैं तो विद्यार्थियों के लिए भी सोचना चाहिए. आईआईटी की गरिमा दशकों में बनाई है. हम एक साल में अगर चीजों को फिसलने देंगे तो बहुत बुरा होगा. ये कौन लोग हैं जो परीक्षा नहीं देना चाहते हैं. विद्यार्थी जिन्होंने वर्षों लगाया है वो परीक्षा देना चाहते हैं. यदि हम इसे ये कह देते हैं कि इस वर्ष को एग्जाम नहीं होगा, कोई दाखिला नहीं होगा तो वो छात्र जो सालों से इंतजार कर रहे थे, तैयारी कर रहे थे, उन पर क्या बीतेगी. आईआईटी के अधिकारियों ने पहले ही कह दिया कि अब और विलंब करेंगे तो हमारे लिए अगले सत्र में 2 सत्र एक साथ चलाना मुश्किल होगा. उन्होंने एनआईओएस का उदाहरण देते हुए कहा पूरे साल परीक्षा आयोजित की जाती है. निश्चित रूप में हमें बच्चों के स्वास्थ्य की चिंता होनी चाहिए, लेकिन उन बच्चों का भी ध्यान रखना चाहिए जो परीक्षा देने के लिए तैयार हैं.
सवाल- छात्रों का एक पक्ष- ये भी संभव है कि वो मार्च के बाद कोचिंग नहीं जा पाए, तैयारी नहीं कर पाए, क्या इस कारण कुछ लोग परीक्षा टालना चाहते हैं?
जवाब- क्या आप घबरा तो नहीं रहे हैं परीक्षा देने से? इसलिए आप चाहते हैं परीक्षा न हो पाए. बाकी सारी चीजें तो खुल चुकी हैं, ऑफिस में लोग जा रहे हैं. इंटरव्यू हो रहे हैं, तो फिर एडमिशन क्यों नहीं. आप ऐसे संस्थानों पढ़ना चाहते हैं जो दुनिया के सबसे अच्छे संस्थानों में से एक है.
सवाल- अभी बीएड समेत कुछ परीक्षाएं हुईं तो देखा गया वहां काफी भीड़ रही, सोशल डिस्टेसिंग नहीं रही, ऐसे खतरों को एग्जाम कराने वाली संस्था क्या दूर कर पाएंगी ?
जवाब- मैं ये बात निश्चित तौर पर कहूंगा कि कोरोना को देखते हुए अच्छी तैयारी करना चाहिए. मैं ये कहूंगा कि पूरा दायित्व स्कूल के प्रिंसिपल को देना चाहिए कि वो जैसा चाहें वैसे परीक्षा कराएं. निश्चित रूप में विद्यार्थियों को दूर जाने के लिए कहा जा रहा है. उसे ठीक करना चाहिए. इन्हें सुरक्षित माहौल में परीक्षा देने के लिए स्कूलों को तैयार करना चाहिए. हमारे पास व्यवस्थाएं हैं.
सवाल- अभी यातायात के साधन भी नहीं चल रहे हैं, क्या इस कारण भी छात्रों को परीक्षा देने आने में दिक्कत होना वजह है?
जवाब- मेरा अपना मानना है कि एक दिन परीक्षा देने जाना है. एक दिन तैयारी करनी है, तो मुझे नहीं लगता है कि यातायात की परेशानी की वजह से परीक्षा रोक देनी चाहिए. एक दिन के एग्जाम के लिए माता-पिता को सहयोग करना चाहिए और परीक्षा के लिए जरूर जाना चाहिए.
सवाल- एक शिक्षाविद के तौर पर आप क्या समाधान देंगे इस उहापोह के समय में?
जवाब- एनडीए को ऑन डिमांड परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए. एनआईओएस पिछले 10 सालों से ऐसा काम करता आ रहा है. सेंटर हर जिले में आईडेंटिफाई कीजिए. प्रॉपर सैनिटाइज कीजिए और बच्चों को उनकी सुविधा के अनुसार उनके दिन के अनुसार परीक्षा देने की व्यवस्था की जानी चाहिए.
सवाल- सरकार साफ कह रही है एग्जाम होंगे. सरकार परीक्षा टालना नहीं चाहती है. परीक्षा कुछ दिन बाद भी तो हो सकती है?
जवाब- शिक्षाविद होने के नाते मैं यह नहीं मानूंगा की पढ़ाई कोई कैप्सूल नहीं है और ऐसा नहीं कि 6 महीने की पढ़ाई हम एक दिन में पढ़ा देंगे और आईआईटी पहले ही कह चुकी है कि यदि सितंबर से ज्यादा लेट किया गया तो इस साल हम पढ़ाई नहीं कर पाएंगे. आप दुनिया भर में आईआईटी के ग्रेजुएट के माध्यम से राज करते हैं. आपके ग्रेजुएट को जब दुनिया में पूछा कि आप कहीं 2020 से तो नहीं हैं, तब कैसी स्थिति होगी. आईआईटी की आईडेंटिटी है और ये बहुत मुश्किल से बनती है. समाज और सब लोग नेता बनने के चक्कर में दबाव बनाते हैं. फिर भी पढ़ाना शिक्षाविद को पड़ता है. सरकार को परीक्षा ठीक तरीके से कराने देना चाहिए. एकेडमिक पर छोड़ दीजिए कि वो कैसे परीक्षा कराते हैं.
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