देहरादून, एबीपी गंगा। मौजूदा दौर में देश दुनिया के लोग साइबर क्राइम का शिकार हो रहे हैं। एक देश दूसरे देश के ऊपर साइबर अटैक करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता। वहीं एक छोटे से फोन या लैपटॉप की मदद से हजारो किलोमीटर दूर बैठा एक ठग किसी के बैंक से पैसे उड़ा लेता है, तो इंटरनेट की मदद से किसी की निजी जिंदगी को भी सार्वजनिक कर देता है। आज जितनी तेजी से मोबाइल इंटरनेट की सहुलियत बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से बढ़ रहा है साइबर क्राइम। उत्तराखंड भी इस क्राइम से बचा नहीं है। हर महीने सैकड़ों मामले साइबर क्राइम से जुड़े दर्ज किये जा रहे हैं। देहरादून से एबीपी गंगा के लिए रवि कैंतुरा की रिपोर्ट ।
दुनिया में आज इंटरनेट अपने पैर लगभग हर जगह पसार चुका है। वहीं भारत की बात करें तो देशभर में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या दूसरे नंबर पर है। लेकिन इंटरनेट के जितने फायदे हैं, उतना ही नुकसान भी है। आज साइबर क्राइम तेजी से अपनी जड़ फैला रहा है। साइबर क्राइम नया भी है खतरनाक भी। खासतौर पर आम आदमी को पता भी नहीं चलता और वो साइबर ठगों का शिकार हो जाता है। साइबर ठग बैंको से पैसे उड़ा ले जाते हैं तो सोशल मीडिया पर लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं।
उत्तराखंड पुलिस खुद को साइबर क्राइम से निपटने के लिए तैयार कर रही है। जहां साइबर सेल पिछले कुछ सालों से उत्तराखंड पुलिस के पास है वहीं साइबर थाने भी बढा़ए जा रहे हैं। हम आपको बताते हैं कि कितने मामले पिछले 4 सालों में साइबर क्राइम के तहत उत्तराखंड में दर्ज किए गए हैं।
2015 से 2019 तक साइबर क्राइम के मुकदमे दर्ज किए गये हैं।
फेसबुक और सोशल मीडिया के माध्यम से साइबर क्राइम
2015 में 45 मुकदमें दर्ज किए गए
2016 में 63 मुकदमें दर्ज किए गए
2017 में 89 मुकदमें दर्ज किए गए
2018 में 87 मुकदमें दर्ज किए गए
2019 में कुल 89 मुकदमें दर्ज किए गए
2015 से 2019 तक एटीएम फ्रॉड के भी बड़ी संख्या में मुकदमें दर्ज किए गए हैं
2015 में एटीएम फ्रॉड के 24 मामले दर्ज किए गये।
2016 में 23 मामले दर्ज किए गये।
2017 में 219 मामले एटीएम फ्रॉड के दर्ज किए गए
2018 में 214 मामले एटीएम फ्रॉड के दर्ज किए गए
2019 में 89 मामले एटीएम फ्रॉड के सामने आए
2015 से 2019 में हैकिंग के मामले
2015 में हैकिंग के 2 मामले दर्ज किए गए
2016 में हैकिंग के 6
2017 में हैकिंग के 5
2018 में हैकिंग के 3
2019 में 7 मामले सामने आए।
सोशल मीडिया के माध्यम से फ्रॉड के मामले जैसे नौकरी, लॉटरी, बीमा, विदेशी धन और olx में ठगने के मामले भी 2015 से 2019 के बीच में दर्ज किए गए
2015 में फ्रॉड के 5 मामले दर्ज किए गए
2016 में 8 मामले फ्रॉड के दर्ज किए गए
2017 में 35 मामले दर्ज किए गए
2018 में 21 मामले दर्ज किए गए
2019 में फ्रॉड के 33 मामले दर्ज किए गए
पुलिस उप महानिरिक्षक साइबर क्राइम की मानें तो साइबर क्राइम के जो मामले सामने आए हैं, वो लोगों की जागरुक होने की वजह से आए हैं। लेकिन लोगों में साइबर क्राइम की जागरुकता बहुत कम है। कई वजहों से पीड़ित लोग पुलिस के पास नहीं आते लेकिन आने वाले वक्त में साइबर क्राइम के मामले और ज्यादा बढ़ सकते हैं।
विश्वभर में 10 में से दो लोग भारत के हैं। जो साइबर क्राइम से पीडित हैं। आज हालात यह हैं कि लोगों के साथ साइबर क्राइम हो जाता है और उन्हें पता भी नहीं चलता। जिन्हें पता चलता है वो पुलिस के पास शिकायत लेकर जाएं तो पुलिस को भी पता नहीं होता कि ये साइबर क्राइम किस तरह से हुआ है। जिस वजह से पुलिस को साइबर क्राइम से निपटना आसान नहीं होता। इसके लिए जरुरत है लोगों को जागरुक होने की साथ ही पुलिस को अपने साइबर तंत्र को और ज्यादा मजबूत करने की।