स्पेशल रिपोर्ट: दम तोड़ रही है आगरा की जीवन रेखा 'यमुना', स्नान तो दूर आचमन लायक भी नहीं है पानी
आगरा में यमुना नदी दम तोड़ रही है। सरकार की योजनाएं सफेद हाथी साबित हुई हैं। एबीपी गंगा ने यमुना के हाल को नजदीक से जाना। आपके लिये पेश है स्पेशल रिपोर्ट
आगरा, नितिन उपाध्याय। जो कालिंदी आगरा के लोगों की जीवनरेखा कही जाती है, आज उसे ही ऑक्सीजन की जरूरत है। मकर संक्रांति नजदीक है और इस पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान करके दान पुण्य करने की परंपरा है। लेकिन आगरा में यमुना नदी का जो हाल है, उसे देखकर आचमन करना भी दूर की बात है। सरकारी तंत्र की लापरवाही से कालिंदी की कालिख गंगाजल भी नहीं धो पा रहा है।
यमुना की सफाई के लिए जल निगम की यमुना एक्शन प्लान इकाई ने करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिये लेकिन हालात नहीं सुधरे। यमुना एक्शन प्लान 1993 में शुरू किया गया था। इसके बाद 2003 में प्लान का दूसरा फेज शुरू किया। इन दोनों फेज में करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए हैं। इसके बाद भी यमुना में नाले धड़ल्ले से गिर रहे हैं। जल निगम के अधिकारियों की मानें तो शहर में 90 नाले निकलते हैं। इनमें से महज 28 नालों को टेप किया गया है। 62 नाले नदी में सीधे गिर रहे हैं। जल निगम ने नमामि गंगा मिशन के तहत करीब 1400 करोड़ रुपये की डीपीआर तैयार की है।
गंगाजल परियोजना से भी नहीं बदली तस्वीर
जल निगम 130 किलोमीटर दूर बुलंदशहर के पालड़ा फाल से गंगाजल लेकर आया है। 2887 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के तहत 150 क्यूसेक गंगाजल मिल रहा है। इसमें से 10 क्यूसेक मथुरा को दिया जा रहा है। कुल 140 क्यूसेक पानी आगरा में आ रहा है। जल निगम ने सिकंदरा तक पानी ला दिया है लेकिन सिकंदरा वाटर वर्क्स में फिलहाल करीब 40 क्यूसेक गंगाजल प्रयोग में लिया जा रहा है। 100 क्यूसेक गंगाजल यमुना में बहाया जा रहा है लेकिन गंगाजल भी नदी का प्रदूषण कम नहीं कर पा रहा है।
स्नान करने से पीछे हट रहे हैं लोग
मकर संक्रांति पर यमुना में कैसे स्नान होगा, यह सोचकर लोग परेशान हैं। जिनको पता है कि सिकंदरा में कैलाश मंदिर के पास से गंगाजल, यमुना में मिलाया जा रहा है, वे लोग वहां पहुंच जाते हैं। यदि पोइया घाट, बल्केश्वर घाट, हाथी घाट या दशहरा घाट की बात करें तो पानी स्नान करने लायक नहीं है। जगह जगह भयंकर गंदगी का आलम है और खुले नाले इन्हीं घाटों के पास नदी में गिर रहे हैं।
नगर निगम ने की खानापूर्ति
हर साल की तरह मकर संक्रांति से पहले नगर निगम के कर्मचारी यमुना आरती स्थल के पास सफाई करते नज़र आये, क्योंकि हर साल यहां पतंगबाज़ी का कार्यक्रम बड़े स्तर पर होता है, लेकिन इस तरह की सफाई से यमुना का भला नहीं होने वाला है। यमुना नदी साफ हो सकती है जब सरकार मज़बूत इच्छाशक्ति दिखाए , शहर के नाले पूरी तरह टेप हों और लोग यमुना में गन्दगी ना फैलाएं।