अयोध्या. यूपी सरकार हाल ही में चर्चा में रही विशेष सुरक्षा बल (एसएसएफ) के हाथों राम नगरी अयोध्या की सुरक्षा देने की तैयारी में है. अयोध्या के साथ ही राम मंदिर की सुरक्षा का जिम्मा भी एसएसएफ के जवानों के कंधों पर होगा. इसके अलावा सरकार प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थल काशी और मथुरा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी एसएसएफ को देने पर विचार कर रही है. बतादें कि एसएसएफ के जवानों को आधुनिक संसाधन, हथियार व विशेष अधिकार दिए जाएंगे. इसमें विभिन्न सुरक्षाबलों के चुनिंदा जवान समेत कम उम्र में रियाटरमेंट लेने वाले युवा सैनिकों को रखा जाएगा.


क्यों पड़ी एसएसएफ की जरूरत?
दरअसल, साल 1990 में तत्कालीन मुलायम सरकार में कारसेवकों को रोकने के लिए तमाम सुरक्षा एजेंसियां नाकाम साबित हुई थी. बाबरी विध्वंस के बाद से ही ये इलाका छावनी में तब्दील है. जनवरी 1993 में 67.77 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के बाद अयोध्या की सुरक्षा को और कस दिया गया. समय-समय पर यहां पुलिस के अलावा पीएसी, सीआरपीएफ और आरएएफ के जवानों को सुरक्षा के लिए लगाया गया. हालांकि, अलग-अलग फोर्स होने के कारण इनके तालमेल पर सवाल उठाए जाते रहे हैं. यही वजह है कि योगी सरकार अब एसएसएफ को राम मंदिर की सुरक्षा का जिम्मा देने की तैयारी कर रही है.


यूपी एसएसएफ में होंगे 9919 जवान
यूपी एसएसएफ में 9919 जवान होंगे. जिसकी पांच बटालियन होंगी. यूपी एसएसएफ को वो सारे अधिकार होंगे जो सीआईएसफ को मिले हैं. प्रदेश में यूपी एसएसएफ की 5 बटालियन गठित होंगी लेकिन इसकी शुरुआत पीएसी के जवानों से की जाएगी. आने वाले वक्त में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड इस स्पेशल फोर्स के लिए भी भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगा. एक साल में यूपी एसएसएफ पर 1747 करोड़ का खर्च आएगा.


तलाशी लेने, गिरफ्तार करने का भी होगा अधिकार
सीआईएसएफ की तर्ज पर यूपी एसएसएफ को भी तलाशी लेने, गिरफ्तार करने, हिरासत में लेकर पूछताछ करने के अधिकार होंगे. इतना ही नहीं आने वाले वक्त में यूपी एसएसएफ को थाने का पावर दिया जाएगा जिससे वो कानूनी प्रक्रिया का भी पालन कर सके.


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