वाराणसी : आस्था के स्थल तो आपने बहुत से देखे होंगे लेकिन मंदिरों के शहर में एक ऐसा मंदिर है जो देश प्रेम में आस्था रखने वालों का केंद्र है. यहां भगवान के रूप में अखंड भारत का नक्शा है जिसे नमन कर देश के प्रति आस्था के भाव जगते हैं. स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज तक देश के प्रति प्रेम भाव रखने वाला हर कोई यहां हाजिरी लगाना नहीं भूलता.


वाराणसी में राष्ट्रप्रेम का एकमात्र आस्था स्थल
देश का एक मात्र ऐसा मंदिर जहां भारत माता की पूजा होती है. काशी के सिगरा क्षेत्र में भारत माता का मंदिर है, जहां भारत माता को नमन किया जाता है. इस मंदिर में आने वाले का धर्म नहीं पूछा जाता बल्कि भारत का रहने वाला हर कोई इस मंदिर में आकर अपने आप को धन्य मानता है. मंदिर के केयरटेकर राजू सिंह की माने तो मंदिर सभी धर्मों के लिए है. पर्यटक आलोक मिश्र की माने तो इस मंदिर में आकर देश प्रेम की भावना जागृत होती है.


भारत माता मंदिर का इतिहास


अंग्रेजी शासन की फूट डालो राज करो की नीति का अंदेशा उस वक्त लगा लिया गया था, वाराणसी में इसे लेकर बैठके भी आयोजित हुई. इसके बाद उस वक्त के स्वतंत्रता सेनानी शिवप्रसाद गुप्त ने एक ऐसे मन्दिर का परामर्श दिया जो हर धर्म की आस्था का केंद्र हो और अखंड भारत के नक्शे को बनाया. जिसके बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सहमति हुयी और भारत माता के मंदिर का निर्माण शुरू हुआ. 1936 में महात्मा गांधी ने इसका उद्घाटन किया. दो मंजिला इस भवन में अखंड भारत का नक्शा है जिसके दर्शन से यहां आने वालों को अपने देश के लिए प्रेम भावना जागृत होती है. स्वतंत्रता आंदोलन के समय भी चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान क्रांतिकारी हो या गांधीवादी हर किसी की भारत माता के मंदिर में आस्था थी.


यूं कहें तो जाति धर्म की खाई को पाटने के साथ देश प्रेम का अलख जगाने वाला देश का एकमात्र मंदिर काशी में मौजूद है. बीएचयू इतिहास विभाग के प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव की माने तो स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज तक देश प्रेम की चाहत रखने वाला हर कोई यहां हाजिरी लगाना नहीं भूलता. देश का प्रेम और आस्था को जताने वाला भारत माता का मंदिर हर किसी के लिए आस्था का केंद्र है इस मंदिर में अखंड भारत का नक्शा भारत माता के वृहद रूप को दर्शाता है.


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