UP Politics: लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष और सत्तापक्ष ने इंडिया बनाम एनडीए नाम से मोर्चा बनाया है. लेकिन विपक्षी गठबंधन इंडिया ( I.N.D.I.A. Alliance) में अभी से दरार दिखने लगी है. विवाद का कारण हालिया हुए उपचुनाव और चुनावी राज्यों में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की सक्रियता है. घोसी उपचुनाव (Ghosi Bypoll) में सपा (SP) के सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh) ने बीजेपी (BJP) प्रत्याशी को करारी शिकस्त दी. वहीं, उत्तराखंड की बागेश्वर विधानसभा सीट (Bageshwar By Election) बीजेपी बचाने में कामयाब रही. कांग्रेस (Congress) और बीजेपी में हार-जीत का बहुत ज्याता अंतर नहीं था. बीजेपी प्रत्याशी पार्वती दास ने 2321 वोटों से कांग्रेस के बसंत कुमार को पटखनी दी. बता दें कि घोसी उपचुनाव में कांग्रेस ने सपा को समर्थन दिया था.
कांग्रेस-समाजवादी पार्टी में खींचतान की ये है वजह
बागेश्वर में स्थिति बिल्कुल उलट रही. बागेश्वर उपचुनाव में उतरे सपा प्रत्याशी को महज 637 मत प्राप्त हुए. कांग्रेस ने बागेश्वर की हार का ठीकरा सपा पर फोड़ा. प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बयान से बिल्कुल साफ है कि बीजेपी की जीत में सपा की भूमिका रही है. बागेश्वर विधानसभा गंवाने के बाद कांग्रेस की तरफ से हो रही बयानबाजी का जवाब सपा मुखिया अखिलेश यादव ने दिया. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए सपा से समर्थन नहीं मांगा था. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस नेताओं ने फोन तक करना मुनासिब नहीं समझा.
लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में 'फूट'!
आंकड़ों के मुताबिक सपा प्रत्याशी का वोट कांग्रेस को ट्रांसफर होने पर भी जीत नामुमकिन थी. ऐसे में कांग्रेस के सपा पर हमला करने की वजहों को तलाशा जाने लगा है. राजनीतिक पंडिंतों का कहना है कि कांग्रेस प्रेशर की पॉलिटिक्स कर रही है. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से है. सपा ने विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. सपा-कांग्रेस में खींचतान की दूसरी बड़ी वजह अखिलेश यादव का बयान भी है. अखिलेश यादव ने छतरपुर में कहा कि सपा की क्षमताओं का आंकलन करने की मंशा है. उत्तराखंड में सपा का प्रदर्शन दिख चुका है. ऐसे में अखिलेश यादव भी मध्यप्रदेश के बहाने कांग्रेस पर दबाव की राजनीति कर रहे हैं. सवाल पैदा हो रहा है कि दोनों पार्टी के नेताओं की बयानबाजी इंडिया गठबंधन में फूट का संकेत तो नहीं है?
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