(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कोविड का दौर: अपने बच्चों को गले लगाने से भी डरती हैं नर्स, मार्मिक हैं इनकी कहानियां
कोविड के दौर में स्वास्थ्यकर्मी फ्रंट लाइन पर रहकर मरीजों की देखभाल कर रहे हैं. इनमें नर्स भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. ऐसी ही कई नर्स अपने बच्चों से भी नहीं मिल पा रही है.
शाहजहांपुर. कोविड-19 महामारी के इस दौर में अग्रिम मोर्चे पर रहकर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों, खासकर स्टाफ नर्स की विडंबना से जुड़ी कई कहानियां बिल्कुल अनोखी और बेहद मार्मिक हैं. यह विडंबना ही है कि महामारी के दौर में कोविड अस्पतालों में तैनात नर्स कोविड-19 संक्रमित मरीजों की सेवा कर रही हैं मगर अजब बेबसी है कि वे अपने बच्चों को गले लगाना तो दूर, उन्हें छू भी नहीं सकतीं.
शाहजहांपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में तैनात स्टाफ नर्स निधि सिंह (44) कोविड अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड की इंचार्ज हैं. वह ड्यूटी के बाद घर के तमाम काम भी करती हैं. इसी के चलते उनके दोनों बच्चे कोविड-19 संक्रमित हो गए.
निधि ने बताया कि अस्पताल में कोविड-19 संक्रमित मरीजों की बुरी स्थिति देखने के बाद अपने बच्चों को लेकर तरह-तरह के ख्याल आने लगे, मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अस्पताल में अपना कर्तव्य निभाते हुए अपने बच्चों की भी देखभाल की. निधि के ममता भरे दिल में सबसे बड़ी टीस इस बात की थी कि वह अपने बच्चों को गले लगाना तो दूर उन्हें छू भी नहीं सकती थी. वह ईश्वर का शुक्र अदा करते हुए कहती हैं कि शनिवार को उनके दोनों बच्चे संक्रमण से मुक्त हो गए हैं.
संक्रमण के डर से बच्ची से नहीं की मुलाकात
इसी कोविड अस्पताल में स्टाफ नर्स रीना कई दिनों से अपनी 13 साल की बच्ची से मिली तक नहीं हैं, इस डर से कि कहीं उनकी वजह से बच्ची को कोरोना संक्रमण ना हो जाए. रीना ने बताया कि वह तथा अन्य उनके सहकर्मी पूरी लगन से मरीजों की सेवा करते हैं इसके बाद भी जब मरीज की मौत हो जाती है तब उन्हें बहुत रोना आता है. विडंबना यह है कि वह मरीजों के सामने रो भी नहीं सकतीं.
राजकीय मेडिकल कॉलेज की जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर पूजा त्रिपाठी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सुविधा से युक्त 184 कोविड बेड और 52 वेंटिलेटर हैं. बुधवार तक मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 संक्रमित 108 मरीज भर्ती थे.
उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज में नर्स की अनुमोदित संख्या 160 है जिसके सापेक्ष 142 नर्स काम कर रही हैं. सभी नर्स को हर महीने छह छुट्टियां दी जा रही हैं जो वे अपनी सुविधा के अनुसार ले सकती हैं. नर्स को रात में 12 घंटे और दिन की पाली में छह-छह घंटे की ड्यूटी करनी होती है.
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