Farm Laws Repeal: मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले से किसान नेताओं और किसानों के बीच खुशी की लहर है. वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश सचिव दीवान चंद्र चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए मोदी सरकार के इस फैसले को सिर्फ एक चुनावी हथकंडा करार दिया. उन्होंने कहा कि कृषि कानून को वापस लेना 700 से अधिक किसानों की धरने के दौरान शहादत का परिणाम है कि आज मोदी सरकार बैकफुट पर आई और इस काले कानून को वापस लेने का ऐलान कर दिया है.
दीवान चंद्र चौधरी ने कहा कि अभी किसानों के लिए यह खुशी का पल नहीं है. जब तक सरकार सदन में इस कानून को पूरी तरीके से वापस नहीं ले लेती, मोदी सरकार के इस फैसले के बाद भी संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन बदस्तूर जारी रहेगा. किसान नेता दीवान चंद चौधरी ने कहा कि इस कानून को संविधान के दायरे में बनाया गया है. उस कानून को उसी संविधान के दायरे में जब तक वापस नहीं लिया जाता, तब तक देश के किसानों के लिए यह कोई प्रसन्नता का विषय नहीं है. बाकी किसानों से बिना बात और उनसे समझे ही इस कानून को लाया गया था, जिस वजह से आज सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान करना पड़ा. ये तीनों कृषि कानून किसानों के लिए किसी डेथ वारंट से कम नहीं थे.
किसान नेता ने कही ये बड़ी बात
किसान नेता ने कहा कि हाल के ही दिनों में बीजेपी के बड़े नेताओं ने जिस तरीके से पूर्वांचल में जनसभाओं को देखा, उससे उन्हें लग गया कि किसान और जनता उनसे नाराज है, जिससे उनकी लोकप्रियता कम हो रही है और आज मजबूरी में उन्हें यह कानून वापस लेना पड़ा. बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए किसान नेता दीवान चंद चौधरी ने कहा कि खालिस्तानी और पाकिस्तानियों के दबाव में मोदी सरकार कृषि कानून को वापस ले रही है. अब यही तय करें कि असली किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार इस कानून को वापस ले रही है या नकली किसानों को इसका लाभ देना चाहती है.
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