प्रयागराज. यूपी के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों के उनहत्तर हज़ार पदों पर होने वाली भर्ती में सेंधमारी करने वाले गिरोह पर शिकंजा कसने के बाद अब उन अभ्यर्थियों की धर -पकड़ की जाने लगी है, जिन्होंने गिरोह के लोगों को पैसे देकर यह परीक्षा पास की है और उनका सेलेक्शन होना तकरीबन तय सा है. पुलिस इस भर्ती परीक्षा के टॉपर समेत दो सफल अभ्यर्थियों को जेल भेज भी चुकी है. पुलिस को अब इस बात के पुख्ता सबूत भी मिल गए हैं कि भर्ती परीक्षा का पेपर प्रयागराज से लीक किया गया था. पेपर लीक मामले में यूपी के एक कैबिनेट मंत्री के प्रतिनिधि रह चुके बीजेपी नेता का अहम रोल होने की भी बात सामने आई है. एक दूसरी परीक्षा का पेपर लीक करने के मामले में यह नेता कई महीनों तक जेल में रहने के बाद कुछ दिनों पहले ही जमानत पर छूटा है.


पुलिस सूत्रों के मुताबिक़ अब तक की जांच में यह सामने आया है कि प्रयागराज में पिछले हफ्ते पकड़े गये गिरोह का नेटवर्क यूपी के कई जिलों में फैला हुआ था. गिरफ्तार लोगों ने अब तक पचास से ज़्यादा लोगों को आठ से दस लाख रूपये लेकर पास कराने की बात कबूली है. हालांकि मामले की जांच से जुड़े पुलिस अफसरों को अंदेशा है कि पैसे देकर पास होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या कई सौ से ज़्यादा है. पुलिस अब गिरोह के ज़रिये पास होने वाले बाकी सफल अभ्यर्थियों पर भी शिकंजा कसने और उन्हें गिरफ्तार करने की तैयारी में है.



गिरोह का लम्बा नेटवर्क होने की वजह से मामले की जांच कर रही प्रयागराज पुलिस ने अब सरकार से इस मामले की जांच एसटीएफ या किसी दूसरी एजेंसी से कराए जाने की सिफारिश कर दी है. सिफारिश को औपचारिक तौर पर लखनऊ भेज भी दिया गया है.

उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार एक से दो दिनों में इस गिरोह से जुड़े मामलों की जांच के लिए एसटीएफ या किसी दूसरी एजेंसी के नाम का एलान कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक़ पैसे देकर पास होने वाले ज़्यादातर अभ्यर्थी शिक्षक बनने योग्य नहीं हैं। धर्मेंद्र पटेल नाम के टॉपर को हिरासत में लेने के बाद पुलिस अफसरों ने जब उससे देश के राष्ट्रपति का नाम पूछने के साथ ही सामान्य ज्ञान के साधारण से सवाल पूछे तो वह उनमे से किसी का जवाब नहीं दे सका था. धर्मेंद्र को डेढ़ सौ में से एक सौ बयालीस नंबर मिले थे. शिक्षक भर्ती परीक्षा के कई जिलों के तमाम सेंटर्स पर रद्द होने का खतरा मंडराने लगा है.