STF ने बिकरू कांड में इस्तेमाल किए गए असलहों को किया बरामद, इस रहस्य से भी उठा पर्दा
बिकरू कांड के बाद एसटीएफ की एक टीम लगातार असलहों की बरामदगी के लिए काम कर रही थी. इसी दौरान असलहों को बेचे जाने की सूचना एसटीएफ को मिली. जिसके बाद एसटीएफ ने असलहों को बरामद कर लिया.
कानपुर: बहुचर्चित बिकरू कांड के मामले में एसटीएफ ने बड़े खुलासे किए हैं. एसटीएफ ने बिकरू कांड में इस्तेमाल किए गए कई असलहों को बरामद किया है. इसके साथ ही एसटीएफ ने विकास दुबे का सहयोग करने वाले सात लोगों को गिरफ्तार भी किया है. बीते साल 2 जुलाई की रात चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया था. विकास और उसके गुर्गों ने पुलिस पर फायरिंग कर सीओ बिल्हौर सहित आठ पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था. इस घटना में 6 पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल भी हुए थे.
पुलिस ने चलाया था अभियान पुलिस ने वारदात को अंजाम देने वाले दुर्दांत विकास दुबे सहित 6 लोगों को मुठभेड़ में ढेर कर दिया था. पुलिस इसके बाद भी उन असलहों को बरामद नहीं कर सकी जिनसे पुलिसकर्मियों पर फायरिंग की गई थी. जांच में ये पता चला था वारदात में अमेरिकी सेमी ऑटोमेटिक राइफल का इस्तेमाल किया गया था. पुलिस ने असलहों की खोज में अभियान चलाया लेकिन सफलता नहीं मिली.
हथियार बरामद अब एसटीएफ ने एक सेमी ऑटोमेटिक रायफल मेड इन अमेरिका, एक 9 एमएम अवैध कारबाइन, एक डीबीबीएल बंदूक, 2 अवैध तमंचे और भारी मात्रा में कारतूस बरामद किए हैं. पुलिस ने विकास दुबे, अमर और प्रभात का मोबाइल फोन भी बरामद किया है. एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि एसटीएफ की एक टीम लगातार इन असलहों की बरामदगी के लिए काम कर रही थी. इसी दौरान विकास दुबे और उसके साथियों की तरफ से बिकरू कांड में प्रयोग किए गए असलहों को बेचे जाने की सूचना एसटीएफ को मिली. इन असलहों को मध्य प्रदेश के भिंड के एक गैंग को बेचा जाना था.
होनी थी असलहों की डील एसटीएफ आईजी का कहना है कि पनकी भौती हाइवे पर इसकी डील की जानी थी. जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों को पकड़कर इनके पास से विकास दुबे और उसके साथियों के अवैध असलहे और कारतूस बरामद किए. इनके पास से पुलिस को विकास, प्रभात और अमर के फोन भी मिले.
रहस्य से उठा पर्दा वहीं, एडीजी एसटीएफ ने बिकरू कांड के बाद विकास दुबे के फरार होने की घटना के रहस्य से भी पर्दा उठाया. अमिताभ यश ने कहा कि वारदात के बाद विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा पैदल ही शिवली नदी के पुल पर पहुंचे. जहां प्रभात ने अपने मित्र विष्णु कश्यप को बुलाया. जिससे उसने तीन गमछा और पानी मंगवाया था और एक चार पहिया गाड़ी का प्रबंध करने को कहा था. विष्णु अपने दोस्त छोटू की गाड़ी लेकर वहां पहुंचा था. इसके बाद तीनों विष्णु के बहनोई कानपुर देहात के रसूलाबाद में स्थित तुलसी नगर पहुंचे. जहां दो दिनों तक वो छिपे रहे और वहां से औरैया फिर फरीदाबाद निकल गए. एडीजी एसटीएफ ने कहा कि विकास दुबे और प्रभात ने पुलिस को जो भागने की कहानी बताई थी वो झूठी थी.
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