CM Yogi Adityanath: जानिए- Ajay Singh Bisht से संन्यासी, फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बनने तक की पूरी कहानी
CM Yogi Adityanath Biography: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उनका असली नाम अजय सिंह बिष्ट है. जानिए उनके संन्यासी बनने से लेकर यूपी का सीएम बनने का सफर.
CM Yogi Adityanath Biography: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. जब से उन्होंने गोरखपुर की शहर सीट (Gorakhpur Assembly Seat) से चुनाव लड़ने का एलान किया है तभी से प्रदेश की सियासत का पारा चढ़ा हुआ है. योगी के आने से ये सीट राज्य की सबसे हॉट सीट बन गई है और अब सबकी नजरें इस पर बनी हुई हैं. ऐसे में हर कोई ये जानना चाहता है कि कैसे योगी आदित्यनाथ के उत्तराखंड के पहाड़ों से निकलकर नाथ सम्प्रदाय के सबसे बड़े पीठ के महंत बने और फिर यूपी का मुख्यमंत्री बनने तक का सियासी सफर उन्होंने तय किया.
अजय सिंह बिष्ट से कैसे बने योगी आदित्यनाथ
कहते हैं कि रमता योगी, बहता पानी. गोरक्षनाथ मठ में योगी और मठ की दहलीज को पार करते ही राजयोगी. हिन्दुत्व और विकास के मुद्दे की राजनीति करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 42 साल की उम्र में लगातार पांच बार सांसद बनने का रिकॉर्ड बनाया. वे हिन्दू कार्ड खेलने में माहिर होने के साथ ही नाथ सम्प्रदाय के सबसे बड़े गोरक्षपीठ के महंत भी हैं. योगी से राजयोगी बने हिन्दुत्व के पोस्टर ब्वॉय योगी आदित्यनाथ के अजय सिंह बिष्ट से यूपी के सीएम बनने के सियासी सफर के बारे में हम आपको बता रहे हैं.
योगी आदित्यनाथ का जन्म और शिक्षा
हिन्दू वोट बैंक की राजनीति में माहिर भाजपा के स्टार प्रचारक और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में गढ़वाली राजपूत परिवार में हुआ. इनके पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट और माता का नाम सावित्री देवी है. सात भाई-बहनों में वे पांचवें स्थान पर आते हैं. उन्होंने श्रीनगर के गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से गणित से बीएससी की. साल 1993 में वे गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गोरखपुर आए. उनके मन में क्या चल रहा था, ये उनके घरवालों को भी नहीं पता रहा है. उन्होंने ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ से ‘सन्यासी’ बनने की इच्छा प्रकट की और 22 साल की उम्र में वे सांसारिक मोह-माया छोड़कर योगी बन गए.
योगी आदित्यनाथ के संन्यासी बनने की कहानी
बड़े महाराज के नाम से लोगों के बीच विख्यात महंत अवेद्यनाथ ने युवावस्था में सन्यासी बनने की अजय सिंह बिष्ट की इच्छा को पहली बार तो खारिज कर दिया. उन्होंने मन की बात घरवालों को बताने की बात कही और वापस जाने को कहा. जब दोबारा अजय सिंह बिष्ट उनके पास आए, तो उन्हें विश्वास हो गया कि गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बनकर इस पीठ को आगे ले जाने का कार्य इनके अलावा और कोई नहीं कर सकता है. 15 फरवरी 1994 को गोरखनाथ मंदिर प्रवास के दौरान ही उन्होंने ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ से दीक्षा लेकर योगी बन गए. इस बीच उनके पिता और परिवार के लोग उन्हें मनाकर वापस ले जाने के लिए आए, लेकिन वे घर वापस नहीं लौटने और हिन्दुत्व की रक्षा का जो संकल्प उठाया था, उससे पीछे नहीं हटे.
26 साल की उम्र में पहली बार बने सांसद
इसके बाद उनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया. साल 1996 के लोकसभा चुनाव में महंत अवेद्यनाथ के चुनाव का संचालन किया. वर्ष 1998 में गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया. यहीं से 26 साल के उम्र में लोकसभा चुनाव जीतकर इनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई. इन्हेंं सबसे कम उम्र का सांसद होने का गौरव भी प्राप्त हुआ.
गोरक्षनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी का कार्यभार
योगी ने जब गुरु गोरक्षनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में कार्यभार ग्रहण किया तो उनके ऊपर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अंतर्गत संचालित होने वाले स्कूल-कालेजों और गोरक्षपीठ के प्रबंधन की जिम्मेदारी रही है. इसके साथ ही उनके ऊपर गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय और आमजन की पीड़ा का भी समाधान करने की जिम्मेदारी रही है.
योगी पर विवादों का साया
इसके साथ ही इनकी ख्याति भी बढ़ती चली गई. 10 फरवरी 1999 में महराजगंज जिले के थाना कोतवाली स्थित पचरुखिया कांड ने इन्हें और चर्चा में ला दिया. यहीं से योगी और विवादों का चोली दामन का साथ हो गया. इसके बाद भी उनके ऊपर मुस्लिम विरोधी होने के साथ सांम्प्रदायिक भाषण देने का आरोप लगता रहा. गोरखपुर में हुए दंगे कर्फ्यू के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा. योगी आदित्यनाथ धर्मांतरण के खिलाफ और घर वापसी के लिए काफी चर्चा में रहे. लेकिन, इन सब बातों से वे कभी विचलित नहीं हुए.
हिन्दुत्व का नारा किया बुलंद
इसी दौर में उन्होंने हिन्दू युवा वाहिनी और बजरंग दल जैसे संगठनों को मजबूती प्रदान कर हिन्दुत्व और विकास का नारा बुलंद किया. वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव एवं वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा शीर्ष नेतृत्व में चल रही उथल-पुथल और पार्टी की गिरती साख को लेकर बगावती तेवर भी दिखाए. इसके साथ ही वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में तवज्जो नहीं मिलने पर हिन्दू युवा वाहिनी से प्रत्याशियों की घोषणा तक करने का ऐलान कर दिया. इससे भाजपा खेमे सहित राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई. अंततः शीर्ष नेतत्व ने योगी आदित्यनाथ को तवज्जो दिया और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित पूर्वांचल में अपनी साख बचाए रखने का मन बनाया. इसका भाजपा को फायदा भी मिला और योगी आदित्यनाथ का कद भी दिन प्रतिदिन बढ़ता गया.
5 बार सांसद बनने का रिकॉर्ड बनाया
उन्होंने आतंकवाद, नक्सलवाद और देश विरोधी तत्वों से निबटने के लिए भी खुलकर भाषण दिए और अपने तरीके से इसके खात्में का ऐलान तक करते रहे. साल 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल कर अपनी धमक दिखाई और पूर्वांचल ही नहीं पूरे देश 42 वर्ष की उम्र में लगातार पांच बार सांसद होने का रिकार्ड भी बनाया. पूर्वी उत्तर प्रदेश में सांसद से अधिक उग्र हिन्दुत्व के पैरोकार योगी आदित्यनाथ अपनी सक्रियता के बूते चुनाव जीतते आए हैं. शायद ही कोई सांसद रात के ग्यारह बजे सभा कर लौटे और पुनः पौने तीन बजे जग जाए. योगी अपने योग के लिए ऐसा ही करते हैं.
हिन्दू-मुस्लिम कार्ड खेलने में माहिर
उनकी सुबह तीन बजे शुरू होने वाली दिनचर्या रात तक चलती है. इसमें सुबह के योग, पूजा-पाठ, गो-सेवा, जनता दरबार, के बाद क्षेत्र का भ्रमण कर लोगों में हिन्दुव का ज्वार उभारना भी शामिल है. योगी विश्व प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं. पूर्वांचल गवाह है कि गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ जितना उग्र तेवर पहले किसी महंत में नहीं रहा है. योगी हिन्दू बनाम मुस्लिम कार्ड खेलने में माहिर हैं.
2017 में मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ
दूसरे लोकसभा चुनाव में योगी सपा प्रत्याशी जमुना निषाद से जहां हारते-हारते जीते. जीत का अंतर महज सात हजार वोटों का था. इसके बाद तो उन्होंने ताबड़तोड़ जीत हासिल कर अपनी ताकत का एहसास कराया. 2014 के लोकसभा चुनाव में ताबड़तोड़ रैलियां कर उन्होंने स्टार प्रचारक की भूमिका का निर्वहन किया और गोरखपुर से चुनाव जीतकर अपनी हनक भी कायम रखी. साल 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
पहली बार लड़ रहे हैं विधानसभा चुनाव
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने गोरखपुर-बस्ती मंडल की सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों को जीत का सेहरा बांधने में अहम भूमिका निभाई. अब वे 2022 के विधानसभा चुनाव में पहली बार गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से लड़ रहे हैं. वे जनसभाओं में विपक्ष पर लगातार हमलावर हैं. यूपी सहित देश के कई राज्यों में प्रचार की कमान संभालकर वे भाजपा प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित कर गेम चेंजर बनते रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हिन्दुव के मुद्दे पर किसी को शक नहीं है. बिजली, पानी, सड़क, रोजगार के मुद्दे पर उन्होंने यूपी के लोगों का दिल जीतने का काम किया है. वे लगातार गोरक्षपीठ, योग, धर्म और आध्यात्म पर पुस्तकें भी लिखते रहते हैं.
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