नितिन उपाध्याय,एबीपी गंगा। आगरा से 30 किमी दूर एक अजीब गांव जिसके बारे में आप सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे, दरसअल इस गांव का नाम है छह पोखर, और उस गांव में करीब 15 घर मुसलमानों के हैं लेकिन सभी ने अपने घर को ही कब्रिस्तान बना डाला है। आखिर क्या है इसकी वजह पढ़िए हमारी ये स्पेशल रिपोर्ट।
इसी गांव में रहनेवाले हैं नूर मोहम्मद के मुताबिक उनके घर में उनकी पत्नी और बच्ची की कब्र है। ये हाल अकेले नूर मोहम्मद का नहीं है, फिर चाहे फिरोज हो या फिर सरदार खां, सबकी एक ही कहानी है कि हर घर में कब्र है। एबीपी गंगा की टीम जब गांव पहुंची तो सबसे पहले हमने बात की 80 साल पार कर चुके मुंशी ठेकेदार से , तो वो अपनी मजबूरी बताते हुए बस एक ही बात कह रहे थे कि वो लोग भूमिहीन है और सार्वजनिक कब्रिस्तान नहीं है इसलिए मुर्दों को घर में ही दफनाना पड़ता है।
आगे जब हम मुंशी के घर के अंदर दाखिल हुए तो स्थिति वाकई में चौंकाने वाली थी, जहां घर में चूल्हा रखा हुआ था, वहीं कब्र बनी हुई थी, जहां बच्चे खेल रहे थे वहीं नूर मोहम्मद ने परिवार वालों को दफनाया हुआ था।
छह पोखर गांव की आबादी 4000 के करीब है जिसमें हर जाति और मजहब के लोग रहते हैं। 15 मुसलमान परिवार के करीब 90 से ज्यादा वोट भी है। लेकिन हिंदुओं के लिए श्मशान तो है लेकीन मुसलमानों का अपना कोई कब्रिस्तान नहीं है। एक दो मुस्लिम परिवार छोड़कर सभी भूमिहीन हैं। ज्यादातर लोग आगरा आकर मज़दूरी करते हैं।
एबीपी गंगा की टीम जब गांव में आगे बढ़ी तो देखा कि सरदार खान के घर शादी का कार्यक्रम हो रहा है लेकिन खाना बन रहा है, वो है कब्रों के ऊपर। लेकिन लोग नाराज नजर आये, क्योंकि ना नेताओं ने सुनी और ना ही अधिकारियों ने।
हालांकि 11 विसवां जमीन जरूर तालाब में कब्रिस्तान के लिए आवंटन की बात हुई है, लेकिन वह जगह भी अभी तक नहीं मिली है। लोगों का कहना है कि कभी कभी हालात यह होती है कि मिट्टी धसकने से कंकाल की हड्डियां बाहर निकल आती हैं।
हालांकि गांव का प्रधान जरूर इस समस्या का रास्ता निकालने की बात कह रहा है, लेकिन यह तभी हो सकता है जब गांव के दोनों पक्ष मिलकर रास्ता निकालें, और इन गरीब मुस्लिमों को 2 गज जमीन मयस्सर हो सके।