लखनऊ, शैलेश अरोड़ा।  सूबे की एम्बुलेंस सेवा ठप रहने से प्रदेश के हज़ारों मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अपनी मांगों को लेकर सूबे की एम्बुलेंस सेवा के पायलट और ईएमटी के हड़ताल पर जाने से पूरा दिन एम्बुलेंस सेवा ठप रही। करीब 18 घंटे की हड़ताल के बाद असिस्टेंट लेबर कमिश्नर के सामने एंबुलेंस कर्मचारियों और सेवा प्रदाता कंपनी जीवीके ईएमआरआई मैनेजमेंट के बीच हुई वार्ता के बाद हड़ताल स्थगित हुई।



इन आश्वासन के बाद माने कर्मचारी
एम्बुलेंस कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने बताया की कंपनी की तरफ से पायलट प्रोजेक्ट बंद करने, टर्मिनेट कर्मचारियों को बहाल करने और हर 6 महीने बाद मानदेय बढ़ाने का आश्वासन दिया गया है। 25 सितम्बर को ओवरटाइम के लिए भी अधिकारियों से वार्ता होगी। वहीँ एम्बुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी जीवीके कंपनी के मीडिया प्रभारी सुनील यादव ने कहा की सभी जिलों में एंबुलेंस मरीजों की सेवा के लिए निकल चुकी हैं। कर्मचारियों ने कंपनी के अधिकारियों को दो दिन का समय दिया है। उसके बाद ही आगे का बताया जायेगा।

ये हैं कर्मचारियों की मांगें
एम्बुलेंस कर्मचारियों के अनुसार उनको 8943 रुपये मानदेय दिया जाता है जो की 2014 से नहीं बढ़ा। इसके अलावा पायलट प्रोजेक्ट के तहत मानदेय की जगह प्रत्येक मरीज ले जाने पर 60 रुपये देने की व्यवस्था हो रही है। दोनों ही उनको मंजूर नहीं। कर्मचारियों ने बताया की पिछले 1 साल में जिसने भी इन मांगों के लिए आवाज उठाई उनको निकाल दिया गया। 1 साल में करीब 1 हज़ार कर्मचारी कंपनी से निकले गए जिनकी बहाली भी लोग चाहते हैं।

हड़ताल का मरीजों पर असर आंकड़ों में

सूबे में 102, 108 और ALS की कुल 4720 एम्बुलेंस...

22 सितम्बर को 24 घंटे में यूपी में 16869 मरीजों को एम्बुलेंस सेवा मिली...

जबकि आज हड़ताल के दिन यूपी में दोपहर 3 बजे तक 15 घंटे में सिर्फ 4681 को ही एम्बुलेंस मिली...

लखनऊ में 22 सितम्बर को 24 घंटे में 261 मरीजों को एम्बुलेंस सेवा मिली...

जबकि आज हड़ताल के दिन लखनऊ में दोपहर 3 बजे तक 15 घंटे में सिर्फ 80 मरीजों को ही एम्बुलेंस मिली