Russia Ukraine War : यूक्रेन से सकुशल अपने घर पीलीभीत पहुंचे छात्र ने सुनाई आपबीती, बताया कि रोमानिया की सीमा में कैसे घुसे
Russia Ukraine War : पीलीभीत नगर पंचायत मझोला के सार्थक सक्सेना यूक्रेन (Ukraine) के पलटावा शहर में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे. यूक्रेन पर रूस (Russia) के हमले के बाद उन्हें बचाकर लाया गया है.
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पीलीभीत नगर पंचायत मझोला के सार्थक सक्सेना यूक्रेन (Ukraine) के पलटावा शहर में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे. यूक्रेन पर रूस (Russia) के हमले के बाद उन्हें बचाकर लाया गया. अब वो अपने घर वापस आ गए हैं. उनके पिता सुधांशु मोहन सक्सेना व्यापारी हैं.
रोमानिया के रास्ते भारत आया सार्थक
सार्थक सक्सेना ने बताया कि वो वहां पलटावा में पढ़ाई कर रहे थे. इस दौरान रूस और यूक्रेन की जंग में अन्य छात्रों के साथ छात्रों के साथ वह वीजा बनवा कर रोमानिया बॉर्डर पर पहुंचे.वहां 3 दिन बाद मंगलवार रात भारतीय दिल्ली से आज सुबह कार से अपने घर मझोला पहुंच गया. घर पहुंचते ही उसके घरवालों की खुशी का ठिकाना न रहा.घर आने के बाद सार्थक सुबह से शाम तक सोता रहा या फिर अकेला ही रहा. शाम को उसने पूरी कहानी बताई कि वो कैसे अपने घर वापस आए हैं.
सार्थक की माने तो यूक्रेन में किसी तरह की मदद नहीं मिली. खुद अपनी हिम्मत और अपनी ही मदद करके के यूक्रेन से बापस निकलना पड़ेगा. यूक्रेन से सटे दूसरे देश मे भारत दूतावास पूरी तरह से अलर्ट है और हरसम्भव मदद कर रहा है.
मेडिकल कॉलेज ने अंधेरे में रखा
सार्थक ने बताया जब से रूस के अटैक करने की संभावना बनी और अलर्ट जारी हुआ उस समय से हम लोग अपनी यूनिवर्सिटी में रह रहे थे. हमने अपने कॉलेज से कहा कि ऑनलाइन क्लास कर दो और हम लोग को जाने दो, लेकिन कालेज प्रशासन ने कहा यहां सब ठीक है कोई दिक्कत नहीं है.
उन्होंने बताया कि 25 तारीख को अटैक हुआ उससे 1 दिन पहले तक कॉलेज प्रशासन कहता रहा कुछ नहीं होगा. अटैक के बाद क्लास ऑनलाइन हुई 26 को हम लोगों ने सोचा कि हमको अब यहां से निकलना है हमारी उस समय कोई मदद नहीं कर रहा था. हम लोगों ने खुद फैसला लिया कि हम लोग निकलते हैं हम लोगों ने 20 हजार रुपये में बस की. सबने मिलकर रुपये एकत्र किए और रोमानिया बॉर्डर अपने आप आ गए. रोमानिया बॉर्डर पर हमें कोई भी मदद नहीं मिली. वहां हजारों का झुंड था हम लोग उसमें घुस गये और बार्डर क्रास कर और रोमानिया पहुंच गए. रात के डेढ़ बजे हमने बॉर्डर पार किया.
रोमानिया बॉर्डर पर मिली मदद
सार्थक ने बताया कि दिक्कत सबसे ज्यादा बॉर्डर पर आ रही थी. भीड़ में इंडियन अफगानिस्तानी,पाकिस्तानी, नाइजीरिया हर जगह के लोग थे. उन्होंने बताया कि भीड़ में लोकल लोग भी थे. लेकिन वहां पर यूक्रेन के लोगों को प्राथमिकता दी जा रही थी. भीड़ में पहले यूक्रेन के लोगों को वहां से निकलने का मौका दिया जा रहा था अन्य लोगों में सिर्फ 10 लोग को लिया जा रहे था.वहां भेदभाव हो रहा था, जो लोग वहां से जबरदस्ती निकलने की सोच रहे थे उनको पीटा भी जा रहा था.
सार्थक ने बताया कि उनके कुछ दोस्त 3 दिन बाद रोमिनया हमारे पास पहुंचे. रोमानिया में इंडियन एंबेसी ने हमारी बहुत मदद की. हमारा सारा इंतजाम किया खाने-पीने का सब मिलाकर. उन्होंने बताया कि रोमानिया के लोगों ने हमारी बहुत मदद की. फिर हमको इंडियन एंबेसी के लोग हमें लेकर रोमानिया की राजधानी लेकर गए.वहां 2 दिन रुके. वहां से फ्लाइट मिली और हम इंडिया आ गए.
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