बीएचयू परिसर में एक बार फिर से माहौल गर्माया है. अभी कक्षाएं पूरी तरह से संचालित नहीं हो रही लेकिन विवादों ने बीएचयू की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. आठ महीने में बवाल की चार घटनाएं ये बताने के लिए काफी हैं कि सुरक्षा के नाम पर बीएचयू प्रशासन का तंत्र फेल है.


प्रोफेसर आनंद चौधरी (चीफ प्रॉक्टर) ने बताया कि छात्रों के बीच टकराव हुआ. जमकर पथराव आपसी मारपीट के बाद परिसर में सुरक्षातंत्र तैनात है. 26 अगस्त की देर रात मेस के खाने को लेकर दो छात्रावासों के छात्र आपस मे भिड़ गए. देखते ही देखते विवाद बढ़ गया और परिसर का माहौल तनावपूर्ण हो गया. बाद में कमिश्नरेट पुलिस के हस्तक्षेप के बाद माहौल नियंत्रित हुआ.


1200 करोड़ से ज्यादा है बीएचयू का सालाना बजट 


आपको बता दें कि बीएचयू का सालाना बजट 1200 करोड़ रुपये से ज्यादा है. सुरक्षा पर 14 करोड़ रुपया खर्च होता है. इसमें लगभग 800 गार्ड 32 सुरक्षाधिकारी 60 आर्म गार्ड की तैनाती है और हर चौराहे पर सीसीटीवी लगाने की बात कही जाती है. लेकिन छात्रों के बीच आपसी समन्वय का न तो अभियान चलता है और न ही प्रोफेसर और सुरक्षाधिकारी कभी छात्रों के बीच आते हैं. छात्रों की मानें तो विवाद के बाद अगर बीएचयू सुरक्षातंत्र को फोन किया जाए तो ये विवाद के बाद आते हैं.


बीते आठ महीनों में कई बार हुआ है विवाद


बीते आठ महीनों की बात करें तो 23 मार्च को परिसर में दो छात्रों के बीच मारपीट के बाद विवाद बढ़ा था. 27 जून को परिसर में मारपीट हुई. 16 अगस्त को मारपीट हुई और अब 26 अगस्त को भी जमकर बवाल हुआ. पहले भी छेड़खानी को लेकर परिसर में बड़ा बवाल हो चुका है. फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और महौल गर्म है.


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