Suar Assembly By Election 2023: रामपुर की स्वार विधानसभा उपचुनाव का प्रचार अंतिम दौर में चल रहा है. 10 मई को स्वार में विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान होना है. लेकिन अभी तक शफीक अहमद अंसारी के चुनाव प्रचार से नवाब हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां दूरी बनाये हुए हैं. शफीक अहमद अंसारी बीजेपी गठबंधन के अपना दल एस (Apna Dal S) से प्रत्याशी बनाए गए हैं. स्वार में अपना दल (एस) प्रत्याशी का एलान होने के बाद से हमजा मियां का दिल टूटा हुआ था. टिकट न मिलने से खामोश हमजा मियां ने पहली बार किसी न्यूज चैनल से बात की.


नवाब हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां का छलका दर्द


एबीपी न्यूज संवाददाता उबैदुर रहमान ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाए जाने पर सवाल पूछा. उनका दर्द टिकट नहीं मिलने पर छलका. उन्होंने कहा कि पार्टी की तरफ से मुझे प्रत्याशी बनाए जाने की उम्मीद थी. लेकिन पार्टी का फैसला है, इसलिए मैं पार्टी के फैसले से अलग नहीं हो सकता. चुनाव प्रचार से दूरी का कारण पारिवारिक समस्याएं थी. मेरे परिवार में एक सदस्य को कोरोना हो गया था. इसलिए मैं चुनाव प्रचार में नहीं जा सका. अब कल से मैं पार्टी प्रत्याशी शफीक अहमद अंसारी के लिए स्वार में चुनाव प्रचार करने जाऊंगा. 


पार्टी प्रत्याशी के चुनाव प्रचार से दूरी बनाने का खुलासा


नवाब हमजा मियां ने कहा कि आज मेरी प्रत्याशी से मुलाकात हुई है और पार्टी के आदेश पर चुनाव प्रचार में निकलूंगा. राजनीति में दिल टूटना ना टूटना सब नसीब की बात होती है. पार्टी ने न जाने क्या अच्छा सोचा होगा. मेरे नसीब में जो होगा वह मुझे मिलेगा. जिसके नसीब में होता है उसे वही मिलता है. सबसे पहले पार्टी का प्रत्याशी स्वार सीट पर 2022 में मैं ही बना था. इसलिए इस बार भी मैं चाहता था कि पार्टी मुझे प्रत्याशी बनाए लेकिन अब पार्टी ने शफीक अहमद अंसारी को प्रत्याशी बनाया है तो मैं पार्टी के फैसले के साथ ही रहूंगा.


आज भी सैकड़ों लोग मुझ से मिले और स्वार चुनाव के बारे में बात हुई है. मैं भी स्वार में चुनाव प्रचार के लिए अब जाऊंगा. हर आदमी अपना प्रयास करता है. पार्टी से आप पूछिए कि क्या सोचकर टिकट दिया है. चार आदमी टिकट मांगते हैं. पार्टी एक व्यक्ति को टिकट देती है. इस का जवाब मैं नहीं दे सकता. मुकाबला दो पार्टियों के बीच में ही होने वाला है.


मैं चाहूंगा कि हमारी पार्टी का प्रत्याशी ही स्वार में चुनाव जीते और इसके लिए मैं कोशिश भी करूंगा. आज़ादी के समय से मेरे परिवार में राजनीति चलती रही है. मेरे दादा परदादा और पिता मंत्री, सांसद, विधायक रहे हैं. इसलिए राजनीति में ये सब चलता रहता है. आजम खान का विरोध सबसे पहले हमारे ही परिवार से रहा है. बाद में आजम खान के विरोध पैदा हुए. आजम खान से संपर्क करने की बात ही नहीं है. जितना विरोध हम लोगों ने आजम खान का किया है उतना जनपद में किसी ने नहीं किया है. 


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