गोरखपुर, एबीपी गंगा। गोरखपुर के मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. रामशरण दास से रंगदारी वसूलने के लिए जिस ज्योति सिंह के नाम से दुष्कर्म का प्रार्थना पत्र दिया गया था, उसका कोई वजूद नहीं है। रंगदारी वसूलने की साजिश रचने वाले चौकी इंचार्ज शिव प्रकाश सिंह और कथित पत्रकार प्रणव त्रिपाठी की कल्पना मात्र थी ज्योति सिंह। पुलिस की पड़ताल में इसकी पुष्टि हो गई है। अब दोनों साजिशकर्ताओं के विरुद्ध पुलिस ठोस सबूत जमा करने में जुट गई है।


डॉक्टर ने दिए थे 8 लाख रुपए


छानबीन में पता चला है कि कथित पत्रकार से मिलकर डॉक्टर से रंगदारी वसूलने की योजना बनाने के बाद चौकी इंचार्ज ने ही ज्योति सिंह के नाम से प्रार्थना पत्र तैयार कराया था। सीओ कोतवाली वीपी सिंह ने बताया कि उसी पत्र को दिखाकर वे डाक्टर को रंगदारी के लिए धमका रहे थे। बदनामी के डर से डाक्टर ने उन्हें आठ लाख रुपये दे भी दिए थे।


मामले में लीपापोती की कोशिश


साजिश का पर्दाफाश होने के बाद चौकी इंचार्ज ने डॉक्टर को फोन कर तीन लाख रुपये लौटाने की पेशकश की थी। तब उसने डॉक्टर को बताया था कि पांच लाख रुपये उसने पीड़िता को दे दिए है। बाद में मामला गंभीर होने पर कथित पत्रकार पूरे आठ लाख रुपये डॉक्टर की क्लीनिक पर जाकर लौटा आया था। डॉक्टर के पास रुपये लौटाने के लिए चौकी इंचार्ज से हुई बातचीत और कथित पत्रकार के रुपये लेकर उनके क्लीनिक पर पहुंचने का सीसीटीवी फुटेज मौजूद है। यही फुटेज आरोपियों के खिलाफ सबूत का काम करेगी।