UP News: केंद्र की मोदी सरकार ने सोमवार (11 मार्च) को देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू करने की अधिसूचना जारी की थी. सीएए को लेकर राजनेताओं सहित धर्म गुरुओं की भी प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं. इसी क्रम में अब CAA पर सूफी इस्लामिक बोर्ड की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंसूर खान ने कहा कि सीएए प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के हक में लागू किया गया है.
सीएए पर सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंसूर खान ने कहा कि जो सीएए लागू किया गया है वो तीन देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के हक में किया गया है और इसके अंदर जो है वो बहुत खुशी की बात है. जो लोग पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं और बहुत खराब परिस्थितियों में आकर यहां बसे हैं, उन्हें मान्यता दी जा रही है.
वहीं मंसूर खान ने कहा कि सूफी इस्लामिक बोर्ड की ओर से हम इस निर्णय के लिए अपने गृह मंत्री को धन्यवाद देते हैं कि वह इतने लाखों लोगों को ये मौका दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग इस तरह का प्रचार कर रहे हैं कि सीएए अच्छा नहीं है उन्हें पता नहीं है कि विधायिका क्या है, न्यायपालिका क्या है और कार्यपालिका क्या है. उन्हें पता होना चाहिए कि ये कई साल पहले इस बिल को दोनों सदनों में निर्वाचित लोगों द्वारा पारित किया गया था और आज यह जिस स्थिति में है, केवल इसके नियम बनाए गए हैं. ये लोग मुसलमानों और लोगों को यह कहकर गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं कि वे अपनी नागरिकता खो देंगे. यह एक नागरिकता बिल है जो उन प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को मान्यता देने जा रहा है जो बहुत बुरी परिस्थितियों में यहां आए हैं.
इससे पहले बरतिया सूफी फाउंडेशन ने भी सीएए का समर्थन किया था. बरतिया सूफी फाउंडेशन के अध्यक्ष कशिश वारसी ने पीटीआई-भाषा से बात करते हुए कहा था कि "संशोधित नागरिकता कानून के कई उद्देश्यों में से एक अवैध अप्रवासियों की आमद को रोकना है, जो करदाताओं का पैसा खा रहे हैं."