नई दिल्ली, एबीपी गंगा। 19 मई को लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान होना है। सभी पार्टियां चुनाव मैदान में हैं लेकिन, इस सबके बीच बसपा प्रमुख मायावती की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। यूपी में बसपा के शासनकाल के दौरान बेची गई चीनी मिल के मामले में जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। अब चीनी मिल घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच प्रवर्तन निदेशालय को सौंप दी गई है। घोटाले की जांच कर ही सीबीआई को इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दस्तावेज मिले थे। जिन्हें ईडी को सौंप दिया गया है। अब ईडी इस घोटाले से जुड़े लोगों से पूछताछ कर सकती है और इसकी आंच बसपा प्रमुख मायावती तक भी पहुंचने की आशंका है।


ये चीनी मिल घोटाला है क्या
दरअसल 2010-11 के दौरान 21 चीनी मिलें बेची गईं। मिलों को बेचने के लिए घाटे का हवाला दिया गया। इन मिलों में देवरिया, बरेली, हरदोई, कुशीनगर की मिलें भी शामिल थीं। आरोप है कि इन्हें बेचने से 1179 करोड़ रुपयों के नुकसान हुआ।


मोदी पर हमलावर माया
जब ये चीनी मिलें बेची गईं, उस दौरान बसपा की सरकार में मायावती सूबे की मुख्यमंत्री थीं। अब लोकसभा चुनाव के दौरान इस मामले के तूल पकड़ने को लेकर मायावती ने सवाल उठाए। माया लगातार पीएम मोदी पर हमलावर हैं। आज भी लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मायावती ने पीएम मोदी पर तीखा हमला बोला। मायावती ने कहा, 'पीएम श्री मोदी सरकार की नैया डूब रही है, इसका जीता-जागता प्रमाण यह भी है कि आरएसएस ने भी इनका साथ छोड़ दिया है व इनकी घोर वादाखिलाफी के कारण भारी जनविरोध को देखते हुए संघी स्वंयसेवक झोला लेकर चुनाव में कहीं मेहनत करते नहीं नजर आ रहे हैं जिससे श्री मोदी के पसीने छूट रहे हैं।'


कुछ यूं शुरू हुआ मामला
2018 में सीएम योगी ने चीनी मिल घोटाले की जांच CBI से कराने की सिफारिश की थी। जिसके बाद CBI ने केस दर्ज कर जांच शुरू भी कर दी। अप्रैल 2019 के आखिरी हफ्ते में CBI लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने इस मामले में FIR दर्ज की। जिसके बाद CBI को मामले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दस्तावेज मिले। जाहिर है कि, चीनी मिल से जुड़े इस घोटाले में मायावती की मुश्किलें बढ़ सकती हैं लेकिन, देखने वाली बात ये होगी कि, चुनाव पर इसका क्या असर पड़ता है।