मेरठ. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना पेराई सत्र 25 अक्टूबर से शुरू हो रहा है, जिसको लेकर प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है. करोना काल में जारी नई गाइडलाइन के तहत गन्ना पेराई सत्र शुरू होगा. चीनी मिलों में काम करने वाले कर्मचारी और किसान दोनों के लिये दिशा निर्देश जारी किये गये हैं.


ई-एप से मिलेगी सारी जानकारी


गन्ने के पेराई सत्र के इंतज़ार में बैठे किसानों के लिए ये अच्छी ख़बर है. अक्टूबर के अंतिम सप्ताह पांच नवंबर के पहले मेरठ मण्डल की सभी 16 चीनी मिलें चल जाएंगी. वहीं, इस बार किसानों को पर्ची की समस्या से भी रुबरु नहीं होना पड़ेगा. अब ई-गन्ना एप के माध्यम से किसानों को सारी जानकारी घर बैठे ही मिल जाएगी और एसएमएस के माध्यम से किसानों का गन्ना तौला जाएगा.


गन्ने की पेराई सत्र के इंतज़ार में बैठे करोड़ों किसानों के ये ख़बर ज़रुर जान लेनी चाहिए. मेरठ मण्डल के उप गन्ना आयुक्त राजेश मिश्रा का दावा है कि अक्टूबर के अंतिम सप्ताह या पांच नवंबर से पहले मेरठ मण्डल की सभी चीनी मिलें चल जाएंगी. उनके मुताबिक मेरठ, बागपत, हापुड़, बुलंदशहर, गाज़ियाबाद की सभी चीनी मिलें 5 नवंबर के पहले चल जाएंगीं.


घर बैठ मिलेगा एसएमएस


उप गन्ना आयुक्त का ये भी कहना है कि इस बार पर्ची की समस्या से किसानों को जूझना नहीं पडे़गा बल्कि हर किसान को एसएमएस मिलेगा और इसी एसएमएस से किसानों का गन्ना भी तौला जाएगा. उन्होंने बताया कि इस बार ई गन्ना एप के ज़रिए किसानों को घर बैठे सारी सूचनाएं मिल जाएंगी.


इसके अलावा उन्होंने कहा कि ऐसी चीनी मिलों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने सबसे कम गन्ना मूल्य भुगतान किया है. गन्ना मूल्य भुगतान के मामले में गाज़ियाबाद की चीनी मिल सबसे फिसड्डी हैं.


नहीं भुगतान करने पर होगी कड़ी कार्रवाई


जबकि बुलंदशहर ज़िले की एक चीनी मिल ने अब तक सबसे ज्यादा गन्ना मूल्य भुगतान किया है. मेऱठ ज़िले में अब तक अस्सी फीसदी गन्ना मूल्य भुगतान किया जा चुका है. उप गन्ना आयुक्त ने बताया कि गन्ना मूल्य भुगतान न करने वाली चीनी मिलों पर कड़े एक्शन की तैयारी भी कर ली गई है.


गन्ना पेराई सत्र शुरू होने से किसानों के चेहरों पर खुशी दौड़ गई है. लेकिन उनके कई सवाल भी हैं. उनका कहना है कि पेराई सत्र इस बार लेट शुरू हुआ है लेकिन किसानों का पिछला भुगतान ही अभी नहीं हुआ है. इस बीच नई फसल तैयार है, ऐसे में पुराना भुगतान तुरंत हो ताकि आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानों को राहत मिले. वहीं, नई फसलों का भुगतान भी तय समय पर हो, इसके लिए सरकार कोई ठोस कदम उठाए ताकि किसानों को भी राहत मिल सके.


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