शामली: कृषि कानून के बाद अब किसानों को फसल का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है, तो वहीं गन्ना भुगतान अभी तक भी पिछले साल का पूरा नहीं मिला है. किसानों का आरोप है कि पिछले साल के करीब डेढ़ महीने का गन्ना भुगतान का पैसा अभी भी शुगर मिल मालिकों के पास ही है. जबकि सरकार ने 14 दिन में गन्ने का भुगतान कराने की बात कही थी और इस साल का तो एक भी रुपया किसानों को गन्ने के भुगतान के रूप में नहीं मिला है. वहीं, किसान नेताओं का कहना है कि, चार साल में डीजल 50 से 80 रुपये तक पहुंच गया, लेकिन किसानों की फसलों के दाम जहां के तहां बने हुए हैं. किसान के साथ मिलकर भारतीय किसान यूनियन कृषि कानून के बाद गन्ना भुगतान पर भी उग्र आंदोलन करेगा, जबकि गन्ना अधिकारी जल्द से जल्द पिछले सत्र और इस सत्र का गन्ना भुगतान कराने की भी बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि, इस सत्र के करीब 564 सौ करोड रुपए मिलों पर बकाया है.


नहीं हो पा रहा है गन्ने का भुगतान


प्रदेश सरकार के दावे जहां हवा हवाई होते नजर आ रहे हैं, वहीं, कृषि कानून वापसी को लेकर जहां भारतीय किसान यूनियन लगातार तीन महीनों से धरना दिए हुए है, वहीं, दूसरी ओर सरकार के दावे किसानों के बकाया भुगतान को लेकर भी झूठे साबित हो रहे हैं, जिसको लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणनीति बनाते हुए कृषि कानून के बाद गन्ने के बकाया भुगतान पर धरना देते हुए गन्ने में सरकार द्वारा किसानों का बिल माफ करने का एक हटाने और समय पर भुगतान कराने के लिए धरने की योजना बना रही है. जबकि किसानों को अब बच्चों की स्कूल की फीस घर का सामान और अन्य चीजों में गन्ना भुगतान न होने के चलते बाधाएं आ रही हैं. वहीं, राष्ट्रीय प्रवक्ता भारतीय किसान यूनियन के कुलदीप पवार ने बताया कि कृषि बिल के धरने के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में गन्ने के बकाया गन्ना भुगतान नहीं होता है, तो धरना प्रदर्शन किया जाएगा.


घर में राशन,बच्चों की स्कूल फीस का संकट


किसान नेता का कहना है कि, सरकार सत्ता में 14 दिन का गन्ने का भुगतान कराने की बात को लेकर आई थी, लेकिन इस साल की तो छोड़ो पिछले साल का भी गन्ना भुगतान अभी तक पूरा नहीं हुआ है. जबकि शुगर मिल में 65,00000 कुंतल गन्ना की पिराई हो चुकी है. वहीं, किसानों के रुपए मिलने तो दूर उनको पहले भी भुगतान नहीं हुआ है. जबकि किसानों के गन्ने की बुग्गी और ट्रॉली भरवाने के लिए कम से कम पांच हजार रुपये तक की लागत आराम से आ जाती है, जो कि उनको पहले देनी होती है. किसानों का आरोप है कि गन्ने का भुगतान समय पर ना होने के चलते स्कूलों में बच्चों की फीस, घर पर राशन का सामान और अन्य चीजों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. व्यापारी अपने पैसे मांगता है जो हमारे पास अभी नहीं है, जबकि अन्य कामों में बाधाएं उत्पन्न होती हैं.


जिला गन्ना अधिकारी का बयान


उधर, इस मामले में जिला गन्ना अधिकारी का कहना है कि, जिले में तीन शुगर मिल हैं. जिनमें ऊन और बजाज शुगर मिल पूर्ण रूप से भुगतान कर दिया है जिले पर करीब 2019 - 20 सत्र का करीब 15 करोड रुपए बकाया है. अभी शामली सिटी के गन्ना शुगर मिल पर बकाया है. वह इस सत्र का गन्ने का भुगतान जनपद में करीब 564 करोड रुपए से ज्यादा तीनों शुगर मिलों पर किसानों का बकाया है. जल्द से जल्द बीते सत्र का गन्ना भुगतान करा कर इस सत्र का गन्ने का बकाया भुगतान भी शुरू करा दिया जाएगा.


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